इंदौर।सांवेर में एक अनूठा नजारा दिखाई दिया.41 साल बाद एक शहीद की 90 वर्षीय मां की अंतिम इच्छा पूरी हुई. शहर के बेटों के सर्वोच्च बलिदान को सर्वोच्च सम्मान देने के लिए शहीद समरसता मिशन के सैनिकों ने शहीद गोपाल सिंह जादौन (कीर्ति चक्र), शहीद भगवान सिंह गुलिया (ऑपरेशन मेघदूत) के भव्य स्मारकों निर्माण सामाजिक सहयोग से कराया. जिसका लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि उत्तराखंड के राज्यपाल ले.जनरल गुरमीत सिंह ने किया. इस मौके पर शहीद गोपाल सिंह जादौन की मां जतन कुंवर जी और शहीद भगवान सिंह गुलिया की भाभी अरुणा गुलिया को लोगों ने अपने हाथों पर लेकर स्मारक स्थल तक पहुंचाया. उनके पैर जमीन पर ना पड़ें इसके लिए पहले फूल बिछाए गए, फिर नौजवनों ने अपने हाथ रखे जिस पर पूरे रास्ते 90 साल की एक मां चलकर उस स्मारक पर पहुंची जो उसके बेचे के देश के लिए मर मिटने का निशानी है. जिसने भी यह दृष्य देखा भावुक हो गया. एक मां की इच्छा 41 बाद ऐसे पूरा होते देखना गर्व करने वाला था. (mp people bring martyr mother on palm)
शहादत का सर्वोच्च सम्मान का नया मॉडल: दोनों शहीदों की प्रतिमाओं के रूप में हुए राष्ट्र शक्ति स्थल के लोकार्पण कार्यक्रम में मिशन के सैनिकों ने दोनों वीरों की माताओं का गंगा जल से पैर धोये. फिर उन्हे स्मारक तक अपने हाथों में लेकर गए. इस मौके पर राज्यपाल ले.जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि 'शहीद के सम्मान का ये मॉडल पूरे देश में अपनाया जाएगा. शहीदों के सर्वोच्च बलिदान को सर्वोच्च सम्मान दिलाने के लिए मिशन के संस्थापक मोहन नारायण जी ने जो बीड़ा उठाया है, मेरी नजर में वो देश के सबसे बड़े नेता है. जिनके व्यक्तित्व की ऊँचाई और गहराई का कोई पैमाना नहीं है. शहीद समरसता मिशन के मॉडल के चलते देश का कोई दुश्मन भी इस राष्ट्र के तरफ नजर उठा कर नहीं देख सकता. इस मॉडल में शहीद के परिवार की चिंता है, उसके शौर्य का सम्मान है. (indore martyr rashtra shakti sthal )