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indore bank privatization bill के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल की धमकी, जाने क्या है बैंक एम्पाइज यूनियन का प्लान

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Published : Sep 29, 2022, 7:50 PM IST

Updated : Sep 29, 2022, 8:13 PM IST

एक ओर मोदी सरकार दिसंबर में बैंकों के निजीकरण के लिए विधेयक लाने जा रही हैं. वहीं दूसरी ओर ऑल इंडिया बैंक एम्पाइज यूनियन ने उसके खिलाफ कमर कसनी शुरू कर दी है. बैंक कर्मचारी संघ ने केंद्र सरकार को चेताया है कि अगर यह बिल लाया गया तो देश के दस लाख बैंक कर्मचारी सामूहिक हड़ताल पर चले जाएंगे. (indore bank privatization bill) (indore bank privatization bill nationwide strike)

indore bank privatization bill nationwide strike
इंदौर बैंकों के निजीकरण का विरोध

इंदौर। मोदी सरकार जहां आगामी दिसंबर में बैंकों के निजीकरण के लिए विधेयक ला रही है. वही इस प्रस्तावित विधेयक के पहले ही अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने विधेयक के खिलाफ सामूहिक हड़ताल का ऐलान कर दिया है. इसे लेकर इंदौर में आयोजित बैंक कर्मचारी संघ की केंद्रीय समिति की बैठक के बाद निर्णय लिया गया है कि यदि मोदी सरकार उक्त निजीकरण विधेयक संसद में लाती है तो देश के 10 लाख बैंक कर्मचारी तत्काल हड़ताल पर चले जाएंगे. (indore threat nationwide strike against bill)

इंदौर बैंक निजीकरण बिल के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल की धमकी

दिवालिया होने की स्थिति में बैंक सेक्टरः ऑल इंडिया बैंक एम्पलाई एसोसिएशन के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने बताया वर्तमान सरकार की कॉरपोरेट हितेषी नीतियों के कारण देश का बैंकिंग सेक्टर खुद ही दिवालिया होने की स्थिति में आ गया है. फिलहाल आज देश के सभी बैंकों में देश के आम लोगों की करीब 165 लाख करोड़ रुपए की राशि जमा है. बीते 7 सालों में केंद्र सरकार अपने चहेते कॉरपोरेट घरानों समेत अन्य जरूरत के लिहाज से 120 लाख करोड़ रुपए का ऋण बांट चुकी है. जिसमें से 7 लाख करोड़ एनपीए होकर डूबत खाते में चले गए है. इन हालातों में सरकार सार्वजनिक बैंकों का संरक्षण करने के बजाय उनका निजी करण करने को उतारू है जिसके खिलाफ देशभर के बैंक कर्मचारी हड़ताल के लिए तैयार हैं. (indore know what is bank employees Union plan)

निजीकरण के विरोध में बंद रहे बैंक, कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन

निजी बैंक खरीदना चाहते हैं कॉरपोरेट घरानेःअखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने दावा किया है कि देश में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से लेकर रोजगार सृजन और शिक्षा समेत विभिन्न सेक्टर के सृजन में सार्वजनिक बैंकों का बड़ा योगदान है. ज्यादा से ज्यादा शाखाएं सार्वजनिक बैंकों की ग्रामीण क्षेत्रों में है. ये आम लोगों को बैंकिंग सेक्टर से सीधे जोड़ें हुए हैं. लेकिन सार्वजनिक बैंकों का ही निजी करण हो गया तो, जो भगोड़े डिफाल्टर बैंकों का पैसा खाकर भाग चुके हैं वही निजी बैंक खरीद लेंगे. इसके दूरगामी दुष्परिणाम देश को भुगतने होंगे. इस स्थिति को समझने के लिए मोदी सरकार तैयार नहीं है. (indore bank privatization bill nationwide strike)

दिवालियापन नीति का बंपर दुरुपयोगः देश में 2016 में लागू की गई दिवाला और दिवालियापन संहिता का कॉरपोरेट घराने दुरुपयोग कर रहे हैं. कई बैंक खुद ही लोन बांटकर दिवालिया होने के कगार पर आ गई है. पहली बार बैंक एम्पलाई एसोसिएशन ने सार्वजनिक रूप से दिवालिया होने पर छूट देने वाले डिफाल्टरों की सूची भी जारी की है. जिसमें मेहुल चोकसी, विजय माल्या, नीरव मोदी के अलावा एस्सार भूषण स्टील, ज्योति इंफ्रास्ट्रक्चर, डीएचएफएल भूषण पावर इलेक्ट्रो स्टील, मोनेट इस्पात एमटेक, आलोक इंडस्ट्रीज, लैंको इंफ्रा वीडियोकॉन, एबीसी शिपयार्ड और शिव शंकर इंडस्ट्री के नाम हैं. जिन्हें बैंक से लिए गए करोड़ों रुपए के लोन पर 23 पर्सेंट से लेकर 95 परसेंट राशि नहीं चुकाने पर एनपीए का लाभ दिया गया है. खास बात यह है कि बाद में यही कंपनियां अलग-अलग कॉरपोरेट घरानों को बांटी गई. (indore bank privatization bill)

Last Updated : Sep 29, 2022, 8:13 PM IST

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