इंदौर।मध्यप्रदेश के इंदौर की जनता ने इस बार सबसे कम उम्र की पार्षद को चुना है. भाजपा की पार्षद 23 साल की पार्षद डॉक्टर बनने की तैयारी कर रही थीं. लेकिन अब अपने वार्ड को संभालेंगी. रूपाली अरुण पेंढारकर (Rupali Arun Pendharkar) भाजपा कार्यकर्ता अरुण पेंढारकर की बेटी हैं. रूपाली ने बीएएमएस की पढ़ाई करते हुए कभी नहीं सोचा था कि उसे अपने पिता के स्थान पर राजनीति में उतरना पड़ेगा. लेकिन नगरी निकाय चुनावों में वार्ड आरक्षण के जो परिदृश्य बने उसमें भाजपा ने वार्ड 59 के लिए रुपाली को ही अपना प्रत्याशी चुना. नतीजतन 23 साल की युवती को डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़ चुनावी मैदान में सक्रिय होना पड़ा.
रूपाली को मिले सबसे ज्यादा वोट:कार्यकर्ताओं की बदौलत कुछ ही दिनों में रूपाली ने अपने वार्ड के मतदाताओं में ऐसी पैठ बनाई कि क्षेत्र के हर घर से उसे अन्य प्रत्याशियों की तुलना में ज्यादा वोट मिले और रूपाली पार्षद बन गईं. रुपाली का कहना है कि राजनीति की फील्ड में यह उनका पहला कदम है. अब वह इस फील्ड में ही धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहती हैं. पार्षद बनने के बाद वे अपने वार्ड के विकास के साथ ही लोगों की जो कॉमन समस्या है उसे भी दूर करेंगी.
युवाओं की आइकॉन बनी रूपाली: अब सबसे कम उम्र की इस पार्षद की कोशिश है कि देश में सबसे स्वच्छ शहर के हिसाब से उनके वार्ड को भी सबसे स्वच्छ वार्ड में तब्दील किया जा सके. ऐसा इसलिए भी है कि खुद रूपाली और उनकी सहेलियों को स्वच्छता की चिंता सर्वाधिक रहती थी. यही नहीं क्षेत्र के आसपास स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट स्वीकृत होने के कारण रूपाली के वार्ड के लोग भी अपने वार्ड को स्मार्ट वार्ड बनाना चाहते थे. यही वजह रही कि उन्होंने अपने वार्ड में सबसे युवा उम्मीदवार को तरजीह दी और रुपाली को पार्षद बनाया. नतीजतन अब रूपाली अपनी उम्र के अन्य युवाओं के लिए भी एक आइकॉन बन चुकी हैं.