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फर्जी दस्तावेज से IAS पदोन्नति का मामला: जिस दिन जज छुट्टी पर रहे उसी दिन दिए गए आदेश, अब सिग्नेचर की भी होगी फॉरेंसिक जांच - fake promotion case in Indore

कोर्ट के फर्जी दस्तावेज लगाकर पदोन्नति पाने के आरोपी IAS संतोष वर्मा को कोर्ट ने 2 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है. IAS वर्मा के खिलाफ न्यायाधीश ने एमजी रोड थाने में FIR दर्ज करवाई थी. उनका कहना था कि जब वह छुट्टी पर थे उसी दिन उनको IAS पदोन्नति दे दी गई, ऐसे में अब ग्नेचर की भी फॉरेंसिक जांच की जाएगी.

IAS promotion case with fake documents
फर्जी दस्तावेज से IAS पदोन्नति का मामला

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Published : Jul 12, 2021, 11:17 AM IST

इंदौर। फर्जी लेटर के माध्यम से प्रतिनियुक्ति पर गए आईएएस अधिकारी को इंदौर के एमजी रोड पुलिस ने कोर्ट में पेश किया. जहां से IAS संतोष वर्मा को 2 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है. इससे पहले कोर्ट में आरोपी पक्ष के वकील और सरकारी वकील के बीच कई तरह के तर्क-वितर्क हुए. इस पूरे ममाले में ये बात सामने आई है, कि जिस दिन संतोष वर्मा को IAS की पदोन्नति दी गई उस दिन न्यायाधीश छुट्टी पर थे, ऐसे में दस्तावेजों पर जो साइन किए गए हैं, वो भी फर्जी हो सकता है, जिसकी फॉरेंसिक जांच करने के आदेश जारी किए गए हैं.

जांच के दायरे में कोर्ट के कर्मचारी

फर्जी दस्तावेजों से IAS बने संतोष वर्मा की पदोन्नति को लेकर पुलिस कोर्ट के कर्मचारियों से भी पूछताछ की जा रही है, क्योंकि संतोष वर्मा की, कोर्ट के कर्मचारियों के साथ वाट्सऐप चैटिंग भी सामने आई है, मामले में कोर्ट कर्मचारी कुश हार्डिया, महेश भाटी और नीतू चौहान के बयान लिए गए हैं, तीनों कर्मचारियों से पुलिस को कोई खास जानकारी नहीं मिली है, लेकिन प्रधान लिपिक पुरोहित ने स्पष्ट कर दिया है कि संतोष वर्मा ने ही नकल आवेदन पेश किया था, कि उसने कंप्यूटर में एंट्री दर्ज की और न्यायाधीश विजेंद्र सिंह रावत की ओर से डायरी प्राप्त कर वर्मा को नकल दी.

दस्तावेजों पर कोर्ट के सील और साइन

इस पूरे ही मामले में पुलिस को एडीपीओ सहित कोर्ट से जुड़े अन्य अधिकारियों पर शक है. संतोष वर्मा ने पदोन्नति के लिए डीपीआर में जो दस्तावेज लगाए थे उनपर कोर्ट से संबंधित सील और साइन मौजूद थे. ऐसे में पुलिस को शक है कि इस मामले में कोर्ट से संबंधित अधिकारियों की संलिप्तता है. हाईप्रोफाइल मामला होने से पुलिस इस मामले में काफी सतर्कता भी बरत रही है.

सूत्रों का कहना है कि फर्जी दस्तावेज की फॉरेंसिक जांच होना अभी बाकी है, इसी जांच के बाद ये साफ हो जाएगा, कि कोर्ट के आदेश किस जगह पर तैयार किये गए थे.

सूत्रों बताते हैं कि 6 अक्टूबर को जज विजेंद्र सिंह रावत ने यह आदेश दिया था, लेकिन उस दिन वह अवकाश पर थे, आदेश की सर्टिफिकेट कॉपी 7 अक्टूबर को कोर्ट से निकली गई थी, वह संतोष वर्मा यह कॉपी 8 अक्टूबर को भोपाल में पेश कर दी थी.

किस मामले में चल रहा था केस ?

दरअसल नवंबर में एक युवती ने थाने में शिकायत की थी. शिकायत में उसने कहा था कि उज्जैन के अपर कलेक्टर संतोष वर्मा ने उसको शादी का झांसा दिया और लिव इन में रखा. उसने ये भी बताया था कि संतोष के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की थी. इसी दौरान दोस्ती हुई, जो प्रेम में बदल गई.दोनों ने विवाह भी कर लिया था. जब वह हरदा में पदस्थ थे तब वे पत्नी की तरह सरकारी क्वार्टर में साथ रही थी. उसके बाद उनका ट्रांसफर उज्जैन हो गया तो युवती को टाउनशिप में घर दिलवाया था.

नकल निकालने की होती है लंबी प्रक्रिया

आईएएस संतोष वर्मा पर आरोप है कि उन्होंने पदोन्नत होने के लिए कोर्ट के नाम से कूटरचित दस्तावेज तैयार किए. जब इस पूरे मामले में जांच हुई तो इन दस्तावेजों की पोल खुल गई. जो दस्तावेज संतोष वर्मा ने पेश किए थे वो दस्तावेज कोर्ट से निकलवाने की प्रक्रिया काफी लंबी है. कई तरह के विभागों से होते हुए दस्तावेज मिलते हैं. जिस तरह से आईएएस अधिकारी ने फर्जी तरीके से दस्तावेज बनाएं. उससे कोर्ट के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. पुलिस उस पूरी कड़ी का पता लगाने में जुटी हुई है, जिनके माध्यम से दस्तावेज निकाले गए थे.

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आम कैदियों की तरह हवालात में बीती रात

बताया जा रहा है कि देर रात जब आईएएस अधिकारी को एमजी रोड पुलिस ने गिरफ्तार किया था, तो उसके कई परिजन भी थाने पर पहुंचे थे. ताकि रात में IAS को सोने के लिए बेहतर जगह मिल सके, लेकिन थाना प्रभारी ने आईएएस अधिकारी को आम कैदियों की तरह हवालात में बंद कर दिया. पूरी रात IAS संतोष वर्मा को आम कैदियों की तरह हवालात में रहना पड़ा. शनिवार को एमजी रोड थाने में बंद संतोष वर्मा की आंखें नम होती दिखी, बार-बार संतोष वर्मा आंसू पोछते दिखे, इस दौरान उनके रिश्तेदार भी थाने पहुंचे, लेकिन उनसे मिलने नहीं दिया गया.

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