इंदौर। फर्जी लेटर के माध्यम से प्रतिनियुक्ति पर गए आईएएस अधिकारी को इंदौर के एमजी रोड पुलिस ने कोर्ट में पेश किया. जहां से IAS संतोष वर्मा को 2 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है. इससे पहले कोर्ट में आरोपी पक्ष के वकील और सरकारी वकील के बीच कई तरह के तर्क-वितर्क हुए. इस पूरे ममाले में ये बात सामने आई है, कि जिस दिन संतोष वर्मा को IAS की पदोन्नति दी गई उस दिन न्यायाधीश छुट्टी पर थे, ऐसे में दस्तावेजों पर जो साइन किए गए हैं, वो भी फर्जी हो सकता है, जिसकी फॉरेंसिक जांच करने के आदेश जारी किए गए हैं.
जांच के दायरे में कोर्ट के कर्मचारी
फर्जी दस्तावेजों से IAS बने संतोष वर्मा की पदोन्नति को लेकर पुलिस कोर्ट के कर्मचारियों से भी पूछताछ की जा रही है, क्योंकि संतोष वर्मा की, कोर्ट के कर्मचारियों के साथ वाट्सऐप चैटिंग भी सामने आई है, मामले में कोर्ट कर्मचारी कुश हार्डिया, महेश भाटी और नीतू चौहान के बयान लिए गए हैं, तीनों कर्मचारियों से पुलिस को कोई खास जानकारी नहीं मिली है, लेकिन प्रधान लिपिक पुरोहित ने स्पष्ट कर दिया है कि संतोष वर्मा ने ही नकल आवेदन पेश किया था, कि उसने कंप्यूटर में एंट्री दर्ज की और न्यायाधीश विजेंद्र सिंह रावत की ओर से डायरी प्राप्त कर वर्मा को नकल दी.
दस्तावेजों पर कोर्ट के सील और साइन
इस पूरे ही मामले में पुलिस को एडीपीओ सहित कोर्ट से जुड़े अन्य अधिकारियों पर शक है. संतोष वर्मा ने पदोन्नति के लिए डीपीआर में जो दस्तावेज लगाए थे उनपर कोर्ट से संबंधित सील और साइन मौजूद थे. ऐसे में पुलिस को शक है कि इस मामले में कोर्ट से संबंधित अधिकारियों की संलिप्तता है. हाईप्रोफाइल मामला होने से पुलिस इस मामले में काफी सतर्कता भी बरत रही है.
सूत्रों का कहना है कि फर्जी दस्तावेज की फॉरेंसिक जांच होना अभी बाकी है, इसी जांच के बाद ये साफ हो जाएगा, कि कोर्ट के आदेश किस जगह पर तैयार किये गए थे.
सूत्रों बताते हैं कि 6 अक्टूबर को जज विजेंद्र सिंह रावत ने यह आदेश दिया था, लेकिन उस दिन वह अवकाश पर थे, आदेश की सर्टिफिकेट कॉपी 7 अक्टूबर को कोर्ट से निकली गई थी, वह संतोष वर्मा यह कॉपी 8 अक्टूबर को भोपाल में पेश कर दी थी.