इंदौर।स्वच्छता सर्वेक्षण में नंबर वन बने रहने की हैट्रिक लगाने वाले इंदौर की नजरें अब चौका लगाने पर हैं. स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर नंबर वन बना रहे. इसके लिए शहर जन सहयोग से स्वच्छता के उन पैमानों पर शहर को खरा उतारने की कोशिश में हैं जो की दौड़ में अव्वल आने के लिए जरुरी है. ईटीवी भारत ने पिछले सालों की तुलना में इस साल किए गए टॉप 10 कामों की हकीकत जानी. जिससे ये पता लगाने की कोशिश की गई कि आखिर इंदौर हर बार स्वच्छता सर्वे में नंबर वन कैसे आता है.
स्वच्छता सर्वेक्षण में हर साल कैसे नंबर-1 बनता है इंदौर, जानिए ये 10 खास मुद्दे
प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर पिछले तीन सालों से स्वच्छता सर्वेक्षण में हर साल नंबर वन बनता आ रहा है. इस बार भी इंदौर को नंबर वन की पोजिशन मिलने के पूरे आसार हैं. आखिर इंदौर क्यों हर बार नंबर वन बनता है. इसकी ये हैं 10 वजह जो उसे और शहरों से खास बनाती हैं.
इंदौर में स्वच्छता सर्वेक्षण के पहले ही अन्य शहरों को पछाड़ने के लिए सर्वेक्षण 2020 की गाइडलाइन के तहत तेजी से काम किए गए हैं. इस बार शहर के स्थाई तौर पर विकास कार्यों के साथ स्वच्छता से संबंधित दूसरे काम प्रभावित ना हो इसके लिए इंदौर नगर निगम प्रशासन को दोगुनी मेहनत करनी पड़ी. हालांकि इस दौरान भी कोशिश यही रही कि लक्ष्य को पैदल चलकर नहीं बल्कि दौड़कर हासिल किया जाए. नतीजन पिछले सालों की तुलना में इंदौर शहर में कई बड़े बदलाव किए गए और योजनाओं को और बेहतर किया गया.
इन 10 कामों पर रहा फोकस
- 1. इंदौर में फूल से खाद बनाने के लिए खजराना गणेश मंदिर और रणजीत हनुमान मंदिर में खाद प्लांट लगाए गए. जिससे कि इन मंदिरों में आने वाले लोगों को खाद प्लांट के बारे में पता चले. इसके बाद निगम ने अभियान शुरू किया और होम कंपोस्टिंग को बढ़ावा दिया. अब शहर के कई घर ऐसे हैं जिनसे कचरा निकलता ही नहीं है. जो शहर के लिए बड़ी उपलब्धि है.
- 2. इंदौर शहर ने कचरे का 100 फीसदी कचरे का निपटारण करने की दिशा में काम शुरु किया. अत्याधुनिक तकनीक और मैनेजमेंट से गंदगी और बदबू मारने वाले ट्रेंचिंग ग्राउंड को आईएसओ सर्टिफिकेट दिलवाया. ये ग्राउंड देश का पहला ट्रेंचिंग ग्राउंड है जिसे आईएसओ सर्टिफिकेट प्राप्त है. इस ग्राउंड को पूरी तरह से हाईटेक कर दिया गया है.
- 3. शहर में नगर-निगम ने सबसे पहले डोर टू डोर कचरा उठाना शुरु किया. इसके बाद जागरूकता फैलाई गई और घर-घर में दो डस्टबिन लगाए गए. साथ ही वाहनों में थर्ड बिन भी लगाया. जिसे जनता ने गीले और सूखे कचरे के साथ ही थर्ड बिन को भी अपनाया.
- 4. अत्याधुनिक सॉलिड वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन तैयार कर मशीनों से लैस कचरा स्टेशनों पर नगर निगम ने ध्यान दिया. शहर की छोटी-छोटी गलियों में से छोटे वाहनों में कचरा भरा जाने लगा जो कि कचरा ट्रांसफर स्टेशन पर आकर बड़ी गाड़ियों में ट्रांसफर किया जाने लगा. स्टेशन में गाड़ी अंदर तक जाकर कचरा उठाती है.
- 5. सड़कों को चकाचक करने के लिए विदेशी मशीनें नगर निगम ने बुलवाई तो दिन और रात में सड़कों की सफाई की जाने लगी. देश में पहली बार हाइवे क्लीनिंग की 6 करोड़ की मशीन को इंदौर में शुरू किया जोकि सकरी गलियों में भी सफाई का काम करने लगी.
- 6. शहर में पहले जहां सिर्फ ट्रेंचिंग ग्राउंड पर ही कचरे का निपटान किया जाता था, वहीं से सैकड़ों स्थानों पर शुरू किया गया होटल रेस्टोरेंट, हॉस्पिटल, स्कूल, कॉलेज और रहवासी संघ में कचरे से खाद बनाई जाने लगी. ये अपने आप में अनूठा प्रयोग साबित हुआ.
- 7. सीवरेज को ट्रीट करने के लिए एसटीपी प्लांट शहर में लगाए गए. इसकी क्षमता बढ़ाई गई. कबीर खेड़ी में बने एसटीपी प्लांट को देखकर दूसरे स्थानों पर भी एसटीपी प्लांट का काम शुरू किया गया. शहर की कान्ह और सरस्वती नदी से गाद निकाली गई और उन्हें पुराने स्वरूप में लाने का काम शुरू हुआ.
- 8. नगर निगम में अपनी सफाई कर्मियों को यूनिफॉर्म दी, सफाई मित्रों के व्यवहार से भी जनता खुश हुई. इंदौर शहर के सफाई कर्मी ट्रेस कोर्ट में दिखने लगे और इंदौर का स्वरूप बदल गया थम्ब मशीन के इस्तेमाल से 99% उपस्थिति दर्ज होने लगी.
- 9. शहर में कई स्थानों पर सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालय बनाए गए. जिसमें सफाई-साबुन-बिजली-पानी सहित अन्य अवस्थाएं की गई. पेट्रोल पंपों पर भी शौचालयों को सार्वजनिक इस्तेमाल करने पर खासा ध्यान दिया गया. यही कारण रहा कि इंदौर ओडीएफ डबल प्लस का दावेदार बना.
- 10. हजारों वाहनों के बेहतर मैनेजमेंट के चलते वर्कशॉप को आईएसओ सर्टिफिकेट भी मिला. इस वर्कशॉप में टेक्नीशियन मैकेनिक तनावमुक्त सुकून भरे माहौल में काम करने लगे जीपीएस तकनीक से वाहनों पर नजर रखी गई.