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Holy Gita Special : भूत, वर्तमान, भविष्य में गीता, जानें कब, क्यों, क्या और किसलिए है गीता

आदि शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी श्रीमद्भागवत गीता (gita jayanti mahotsav 2021) के बारे में अपने विचार रखे हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध में (lord krishna in mahabharata) अपने विराट रूप में अर्जुन को गीता का ज्ञान (Lord Krishna preached the Gita to Arjuna) दिया था. श्रीमद्भागवत गीता सभी ग्रंथों का सार है. Gita jayanti mahotsav 2021 kurukshetra.

gita jayanti mahotsav 2021
गीता जयंती महोत्सव 2021

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Published : Dec 14, 2021, 1:37 PM IST

Updated : Jun 9, 2022, 12:36 PM IST

ईटीवी भारत डेस्क :सनातन धर्म में गीता को पवित्र ग्रंथ माना गया है, श्रीमद्भागवत गीता सभी ग्रंथों का सार है. महाभारत के समय भगवान श्रीकृष्ण जी ने सर्वप्रथम मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को कुरुक्षेत्र में अपने शिष्य अर्जुन को गीता (gita jayanti 14 December 2021) का ज्ञान दिया था. अर्जुन को गीता (Shrimad Bhagwat Gita) का ज्ञान देकर भगवान श्रीकृष्ण ने उनके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त किया था इस कारण से मार्गशीर्ष (अगहन) मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी (mokshada ekadashi 2021) कहा जाता है. इस प्रकार मोक्षदा एकादशी के दिन ही गीता जयंती (gita jayanti mahotsav 2021 kurukshetra) मनाई जाती है. इस वर्ष 14 दिसंबर को गीता जयंती (gita jayanti 2021) मनाई जा रही है.

महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता के माध्यम से अपना दायित्व और कर्त्तव्य का बोध कराया. आज गीता ही एक मात्र ग्रंथ है जो पूरी दुनिया के लिए मार्गदर्शन का काम कर सकती है और विश्व को निराशा से निकालने का सामर्थ्य है. आदि शंकराचार्य (Adi Shankaracharya), स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Shri Narendra Modi) ने भी श्रीमद्भागवत गीता (gita jayanti mahotsav 2021) के बारे में अपने विचार रखे हैं.
Gita Jayanti mahotsav 2021 : मोक्षदा एकादशी और गीता अवतरण के दिन रखें व्रत, मिलेगा मोक्ष का मार्ग हो जाएंगे भवसागर पार

दो महान तपस्वियों आदि शंकराचार्य और स्वामी विवेकानंद ने सामान्य और आध्यात्मिक जीवन के लिए न सिर्फ गीता का अनुसरण किया बल्कि उसे सर्वश्रेष्ठ भी बताया. स्वामी विवेकानंद ने विश्व धर्म सम्मेलन में विश्व के सामने बहुत ही विनम्रता पूर्वक गीता को सभी धर्मों का आधार "नींव बहुत ही मजबूत है" बताया था.

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गीता पर प्रधानमंत्री मोदी के विचार

"मेरे पास दुनिया को देने के लिए इससे अच्छी कोई गिफ्ट नही है और न दुनिया के पास इससे अच्छी कोई गिफ्ट लेने के लिए है".


गीता जयंती 2021 : भगवान कृष्ण के श्री मुख से गीता अवतरण
भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध में (lord krishna in the mahabharata kurukshetra) अपने विराट रूप में अर्जुन को गीता का ज्ञान (lord Krishna gave the knowledge of gita to arjuna) दिया था. श्रीमद्भागवत गीता महाभारत (mahabharat scripture) ग्रंथ का एक हिस्सा है इसमें कुल 18 अध्याय है. गीता के 6 अध्याय कर्मयोग, 6 अध्याय ज्ञानयोग और अंतिम 6 अध्याय में भक्तियोग के उपदेश दिए गए हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज से लगभग 5157 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान (geeta jayanti 2021 kurukshetra) दिया था. इस प्रकार गीता की उत्पत्ति कलयुग आरंभ होने से लगभग 30 वर्ष पहले हुई थी. गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद (Geetopanishad) है, श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्याय और कुल 700 श्लोक (Shrimad Bhagwat Gita has 18 chapters 700 verses) हैं.
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गीता के अध्याय और उनकी विषय वस्तु

अध्याय 1--- अर्जुनविषाद योग - कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्य निरीक्षण
अध्याय 2--- साङ्ख्य योग - गीता का सार
अध्याय 3--- कर्मयोग - कर्मयोग
अध्याय 4--- ज्ञानकर्म संन्यास योग - दिव्य ज्ञान
अध्याय 5--- कर्मसंन्यास योग - कर्मयोग कृष्णभावनाभावित कर्म
अध्याय 6--- आत्मसंयम योग - ध्यानयोग
अध्याय 7--- ज्ञानविज्ञान योग - भगवद्ज्ञान
अध्याय 8--- अक्षरब्रह्म योग - भगवत्प्राप्ति
अध्याय 9--- राजविद्या राजगुह्य योग - परम गुह्य ज्ञान
अध्याय 10--- विभूतियोग - श्री भगवान् का ऐश्वर्य
अध्याय 11--- विश्वरूपदर्शन योग - विराट रूप
अध्याय 12--- भक्तियोग - भक्तियोग
अध्याय 13--- क्षेत्रक्षेत्रज्ञ विभाग योग - प्रकृति, पुरुष तथा चेतना
अध्याय 14 --- गुणत्रय विभाग योग - प्रकृति के तीन गुण
अध्याय 15--- पुरुषोत्तम योग - पुरुषोत्तम योग
अध्याय 16 --- दैवासुर सम्पद्विभा गयोग - दैवी तथा आसुरी स्वभाव
अध्याय 17--- श्रद्धात्रय विभागयोग - श्रद्धा के विभाग
अध्याय 18--- मोक्ष संन्यास योग - उपसंहार-संन्यास की सिद्धि


गीता जयंती के उपाय (Remedies for Gita Jayanti)
श्रीमद्भागवत गीता को माथे पर लगाएं और उसका पाठ करें या सुनें. गीता जयंती के अवसर पर मंदिरों में भी गीता का पाठ किया जाता है, वहां जाकर भी गीता का पाठ सुन सकते हैं. यदि संभव हो तो इस दिन मंदिरों में या ब्राह्मणों को यथासंभव महाग्रंथ गीता का दान अवश्य करें.

Last Updated : Jun 9, 2022, 12:36 PM IST

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