इंदौर। कोरोना से लोगों को बचाने के लिए जहां डॉक्टर अपनी जिंदगी खतरे में डालकर मरीजों का इलाज करने में जुटे हैं. जो उनके लिए सबसे कठिन परिस्थिति मानी जा रही है. इंदौर में ऐसा ही एक मामला सामने आया. जहां कोरोना के मरीजों के इलाज में जुटे डॉ देवेंद्र मेहरा ने होशंगाबाद में अपनी बीमार बेटी का इलाज और देखभाल की परवाह किए बिना इंदौर में कोरोना मरीजों के लिए अपने फर्ज और ड्यूटी को प्राथमिकता दी. लेकिन इस बीच उनकी बेटी का निधन हो गया. जिसे वे आखिरी बार देख भी नहीं सके.
मनीष सिंह, कलेक्टर, इंदौर बेटी की मौत से दुखी डॉक्टर ने जब पूरा मामला एडीएम बीबीएस तोमर को बताया. जिसके बाद उन्होंने तत्काल बेटी के अंतिम संस्कार और पत्नी प्रियंका की देखभाल के लिए डॉक्टर देवेंद्र को होशंगाबाद में माली खेड़ी स्थित घर जाने के निर्देश दिए. इस मामले के बाद इंदौर जिला प्रशासन ने डॉक्टर देवेंद्र मेहरा के समर्पण को कोरोना के खिलाफ मिसाल करार दिया है. इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने डॉ. देवेंद्र मेहरा की तरीफ करते हुए कहा कि मुश्किल वक्त में उनका यह साहस लोगों का मनोबल बढ़ाता है.
बीमार बेटी को छोड़कर कर रहे थे मरीजों का इलाज
भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस डॉक्टर देवेंद्र मेहरा की ड्यूटी इंदौर के चार वार्डों में लगाई गई थी. इंदौर में ड्यूटी लगने से पहले वे होशंगाबाद में बीमार अपनी 15 महीने की इकलौती बेटी का इलाज भी कर रहे थे. लेकिन जब इंदौर में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ी तो वे अपनी बेटी को छोड़कर इंदौर आ गए. बेटी की तबियत बिगड़ने के बाद जब उन्हें पत्नी ने बुलाया तब भी वे वापस नहीं लौट पाए.
लिहाजा मासूम की दो दिन पहले मौत हो गई, बेटी की मौत से दुखी मां ने जब डॉक्टर देवेंद्र को अपनी मृत बेटी के वीडियो मोबाइल से भेजे तो डॉक्टर देवेंद्र एडीएम बीबीएस तोमर को पूरा घटनाक्रम बताते हुए फूट-फूट कर रोए. जिसके बाद उन्हें घर भेजा गया. होशंगाबाद में भी डॉक्टर देवेंद्र की कर्तव्य परायणता की चर्चा से अब उन्हें सम्मानित करने की तैयारी की जा रही है. इंदौर में पहले भी कोरोना के मरीजों का इलाज करते हुए दो डॉक्टरों और 2 नर्सों की मौत हो चुकी है यह पहला मामला है जब इंदौर के मरीजों की जान बचाने के लिए किसी डॉक्टर को अपनी इकलौती बेटी की जान गवानी पड़ी हो.