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महबूबा मुफ्ती की धमकियों से डरती नहीं केंद्र सरकार- कैलाश विजयवर्गीय - झूठी धमकियों से केंद्र सरकार डरती नहीं

महबूबा मुफ्ती के बयान पर कैलाश विजयवर्गीय ने पलटवार किया है, उनका कहना है, कि जम्मू-कश्मीर का शोषण करने वाले नेताओं के चेहरे बेनकाब हो चुके हैं, उनकी धमकियों से केंद्र सरकार डरने वाली नहीं है. जम्मू-कश्मीर में 15 अगस्त को जिस तरह से हर पंचायत में तिरंगा फहराया गया, उससे साबित हो गया कि वहां के लोग देशभक्ति से ओत-प्रोत हैं.

BJP National General Secretary Kailash Vijayvargiya
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय

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Published : Aug 22, 2021, 7:54 PM IST

इंदौर।जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती ने तालिबान का उदाहरण देते हुए मोदी सरकार को चेतावनी दी थी, जिस पर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पलटवार किया है, कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि केंद्र सरकार को ऐसी गीदड़ भभकियों से कोई फर्क नहीं पड़ता, उनकी झूठी धमकियों से केंद्र सरकार डरती नहीं है, जम्मू-कश्मीर के लोगों ने पीडीपी पार्टी का असली चेहरा देख लिया है.

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय

कैलाश विजयवर्गीय ने कहा:'केंद्र सरकार को ऐसी गीदड़ भभकियों से कोई फर्क नहीं पड़ता, अपने गिरेबान में झांककर देखें, मैबहबूबा मुफ्ती, कि जम्मू-कश्मीर में 15 अगस्त को प्रतेक पंचायत में तिरंगा लहराया, तो कितनी राष्ट्रभक्ति का प्रवाह है, जम्मू-कश्मीर में, अब उनके साथ जनता नहीं है, जनता उनके वास्तविक चेहरे को पहचान चुकी है, उन लोगों ने जिस तरह से जम्मू-कश्मीर की जनता का शोषण किया है, इन सब लोगों के चेहरे बेनकाब हो गए हैं'

महबूबा का बेतुका बयान, अगर आजादी के समय BJP सत्ता में होती तो कश्मीर भारत में नहीं होता

हबूबा मुफ्ती ने का बयान:जम्मू-कश्मीर जैसी रियासत दुनिया में और कहीं नहीं है, कश्मीर के लोग कायर नहीं हैं, बल्कि उनमें धैर्य है, अहिंसा के रास्ते में ज्यादा हिम्मत चाहिए, हथियार उठाने के लिए साहस की जरूरत नहीं है, लेकिन जिस वक्तबर्दाश्त का बांध टूट जाएगा, उस वक्त आप नहीं रहोगे और मिट जाओगे, हमारा इम्तिहान मत लो, सुधर जाओ, संभल जाओ, चींटी जब हाथी के सूंड़ में घुस जाती है, तब वह हाथी का जीना हराम कर देती है, अगर आजादी के समय भाजपा की सरकार होती तो कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं होता,अफगानिस्तान में भी अमेरिका को अंततः बातचीत का सहारा लेना पड़ा, भारत सरकार को यह भी पता होना चाहिए कि कश्मीर मुद्दे का समाधान केवल बातचीत से ही संभव है.

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