इंदौर।देश और दुनिया भर में उजड़ते पर्यावरण के कारण कीट-पतंगे जहां अपने आशियाने की तलाश में जीवन संकट से जूझ रहे हैं, तो वहीं इंदौर के होलकर कॉलेज के बॉटनी डिपार्टमेंट में तितलियों के लिए कॉलेज परिसर में ही प्राकृतिक आशियाना तैयार कर दिया है. यहां तितलियों को प्राकृतिक आवास स्थल उपलब्ध कराया गया है, लिहाजा यहां अब 20 से ज्यादा दुर्लभ प्रकार की तितलियां (बटरफ्लाई) पार्क की शोभा बढ़ा रही हैं. (Butterfly Garden Indore)
तितलियों की खूबसूरती से सराबोर हुआ इंदौर कॉलेज ने किए ये इंतजाम:इंदौर के होल्कर साइंस कॉलेज में हॉर्टिकल्चर और सीड टेक्नोलॉजी जैसे विषयों को पढ़ाने के लिए जो पौधे लगाए गए थे, वे पौधे अब आसपास की तितलियों के लिए प्राकृतिक आवास स्थल बन चुके हैं. इसके अलावा गार्ड लगातार पानी देने और नमी बनाए रखने के साथ मड पडलिंग गार्डन में पानी की उपयोगिता व्यवस्था की गई है.
Survey of Butterfly: छिंदवाड़ा में मिलीं तितलियों की दो दुर्लभ प्रजातियां, मानव दखलंदाजी नहीं करती हैं पसंद
तितलियों के लिए लगाए गए ये खास 20 पौधे:कॉलेज के बॉटनी डिपार्टमेंट के मुताबिक तितलियों के लिहाज से आवास स्थल और अंडे देने के लिए जो पौधे उपयुक्त होते हैं वही पौधे गार्डन में लगाए गए थे. वनस्पति विज्ञान विभाग ने यहां पर 20 ऐसे पौधे भी लगाए हैं, जिस पर तितलियां अंडे देती है. ये पौधे देश के विभिन्न स्थानों से मंगाए गए हैं, जिनके यहां लगाए जाने के बाद बटरफ्लाई गार्डन में तितलियों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं. इसके अलावा बटरफ्लाई गार्डन के आसपास कोई भी कीटनाशक और प्रदूषण करने वाला प्रयोग नहीं किया जाता है, जिससे यहां तितलियां सुरम्य रूप से रह रही हैं.
ये तितलियां बढ़ा रहीं शोभा: कॉलेज के बॉटनी डिपार्टमेंट में इन दिनों तरह तरह की तितलियां विचरण करती नजर आ रही हैं, इनमें कॉमन कोस्टर, चॉकलेट पेंसी, ब्लूपेंसी, लेमन पेंसी, पीकॉकपेंसी, येलोपेंसी, बैंडेड ऑल ब्राउन, ऑल कामन पीरट, ग्रास ब्लू टेल, क्रश ब्लू और रेड पीरट आदि मुख्य हैं.
Species of Butterflies Discovered: रातापानी अभ्यारण्य में तितलियों की 103 प्रजातियां मिलीं
विस्तृत आकार लेगा बटरफ्लाई गार्डन:इंदौर में इससे पहले भी बटरफ्लाई गार्डन बनाने की तैयारियां हुईं थीं, लेकिन समय के साथ यह मामला ठंडा पड़ गया. हालांकि अब होलकर साइंस कॉलेज ने इस अवधारणा को अपने छोटे से प्रयास से साबित कर दिया है तो कोशिश की जा रही है कि तितलियों का यह गार्डन अब विस्तृत स्वरूप में तैयार किया जाए, जिससे कि देश और दुनिया की विभिन्न तितलियों को यहां प्राकृतिक माहौल उपलब्ध कराया जाए.
स्वच्छ हो रहीआबोहवा:पर्यावरणविद मानते हैं कि जिन इलाकों का पर्यावरण स्वच्छ रहता है, वहां तितली जैसे छोटे कीट-पतंगे विचरण करते हैं. इसके अलावा यह कीट-पतंगे जो अपने रंगो के कारण आकर्षक दिखते हैं, उनके संरक्षण के लिए शुद्ध वायु चाहिए होती है. अब जबकि होलकर साइंस कॉलेज में तितलियां अपना डेरा डाल रही है तो माना जा रहा है कि होलकर कॉलेज की आबोहवा अथवा वायु प्रदूषण की स्थिति संतोषजनक है.