इंदौर। लॉकडाउन के चलते देश भर में कई व्यापार और व्यवसाय प्रभावित हुए हैं, पर सरकार ने जैसे ही अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की तो कई व्यापार और व्यवसाय फिर पटरी पर आने लगे हैं. लेकिन प्रदेश की आर्थिक राजधानी के तौर पर पहचान रखने वाले इंदौर में 20 हजार से अधिक ऐसे लोग हैं, जिनके ऊपर घर चलाने की चुनौतियां तो हैं ही, साथ ही ऋण अदायगी का दबाव भी है. स्थितियां इतनी बिगड़ती जा रही हैं कि इस शहर में अब ऑटो चालक भी आत्महत्या करने लगे हैं और सुसाइड नोट में बाकायदा फाइनेंसरों के दबाव की बात भी सामने आ रही है.
इंदौर शहर में 20 हजार से अधिक ऑटो चालक हैं, जोकि रोजाना ऑटो चलाकर अपना परिवार चलाते हैं. लगभग 4 महीने से ये ऑटो चालक बिना किसी आय के बसर कर रहे हैं. पहले लॉकडाउन के चलते और अब शहर में स्कूल और सिनेमाघर बंद होने के चलते ये ऑटो चालक मुसीबत में हैं. लगभग 4 महीने से बिना किसी आय के गुजरते दिन के साथ इन ऑटो वालों की स्थिति बिगड़ती जा रही है. शहर में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें आत्महत्या करने वाले ऑटो चालक हैं.
फाइनेंसरो का बढ़ रहा दबाव, कर्ज की वापसी बनी चुनौती
शहर के कई ऐसे ऑटो चालक हैं, जिन्होने अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए ऑटो को मासिक किस्तों पर खरीदा था. केंद्र सरकार ने बैंकों से 3 माह तक कर्ज में रियायत देने का एलान तो किया था, लेकिन जिन ऑटो चालकों ने प्राइवेट कंपनियों से कर्ज लिया था, उनके ऊपर लगातार किस्त चुकाने का दबाव बढ़ता जा रहा है. 3 महीने से आमदनी बंद होने से किस्तें नहीं भर पाने के कारण कई ऑटो चालक इन प्राइवेट बैंकों से डिफाल्टर घोषित हो चुके हैं. अब स्थिति ये है कि प्राइवेट बैंकों के एजेंट मानसिक रूप से ऑटो चालकों पर दबाव बना रहे हैं.