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आसमानी कहर: 76 मौतों के बाद खतरे में मध्य प्रदेश का पुरातत्व विरासत

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Published : Jul 13, 2021, 1:12 PM IST

मध्य प्रदेश में आकाशीय बिजली का खतरा मंडरा रहा है, ऐसे में पुरानी इमारतों पर अगर बिजली गिरती है, तो बड़ा हादसा हो सकता है.

Madhya Pradesh in danger after 76 deaths
आसमानी कहर

इंदौर। मध्यप्रदेश समेत देश के 3 राज्यों में आकाशीय बिजली गिरने से जहां अब तक 76 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं अब मानसून के सीजन में आकाशीय बिजली गिरने से पुरातात्विक इमारतों पर भी खतरा मंडरा रहा है.

76 मौतों के बाद खतरे में मध्य प्रदेश

राजस्थान के आमेर कोटा झालावार रोड जोधपुर के खेलों की स्थिति भी ठीक मध्य प्रदेश जैसी है, जहां आकाशीय बिजली से इमारत के साथ लोगों को बचाने के लिए लगाए जाने वाले तड़ित चालक जैसे पारंपरिक सुरक्षा उपायों के छिन्न-भिन्न हो जाने के कारण अब यहां की पुरातात्विक इमारतों पर भी आकाशीय बिजली गिरने की आशंका जताई जा रही है.

ज्यादातर इमारतें सुरक्षित नहीं, कभी भी हो सकता है हादसा

इंदौर में होलकर राजघराने की सबसे भव्य इमारत लाल बाग पैलेस के अलावा राजवाड़ा और पुरातात्विक महत्व की करीब आधा दर्जन इमारतें अब आकाशीय बिजली के लिहाज से सुरक्षित नहीं बची हैं, लालबाग पर इसे बचाने के लिए जो प्राचीन तड़ित चालक होलकर शासनकाल में इमारत को बनाए जाने के दौरान लगा था, उसे भी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत उपेक्षित मानकर छिन्न-भिन्न कर दिया गया है.

इमारत पर तड़ित चालक का ऊपरी हिस्सा नजर आता है, लेकिन तांबे की प्लेट के जरिए आकाशीय बिजली को जमीन में उतारने की लाइन थी, वह टूटा हुआ है, जानकारों की मानें तो इस स्थिति में यदि अकाशीय बिजली इमारत पर गिरती है, तो उसका समावेश आकाश से सीधे जमीन में नहीं हो सकेगा, जिसके चलते इमारत भी ध्वस्त हो जाएगी. ऐसी स्थिति में यदि इमारत में सैलानी अथवा पर्यटक होते हैं, तो वह भी खतरे में आ जाएंगे, कमोबेश राजवाड़ा गोलिया की छतरी महाराज बाड़ा होलकर कालीन पुरानी एमवाय अस्पताल की इमारत समेत अन्य कई मारते हैं जो अब तड़ित चालक की सुरक्षा दायरे से हट चुकी हैं.

खास बात यह है कि इन सभी में प्राचीन दौर में आकाशीय बिजली से बचाव के लिए तड़ित चालक लगाए गए थे, लेकिन समय के साथ इन्हें अनुपयोगी मान लिया गया, जिन जिन इमारतों में तड़ित चालक मौजूद थे, ना तो तड़ित चालक का रखरखाव किया गया, ना ही इनका महत्व समझने वाले लोग ही बचे हैं, ऐसी स्थिति में अब निर्माण एजेंसियों को भी आकाशीय बिजली से बचाव का साधन नहीं सोच रहा है. अब जबकि ईटीवी भारत द्वारा यह मामला उजागर किया जा रहा है, तो नगर निगम और जिम्मेदार एजेंसी अभी इस मामले पर तकनीकी मदद का हवाला दे रही है.

यह होता है तड़ित चालक

तड़ित या आकाशीय बिजली का वायुमंडल से जमीन प्रभाव होता है, तो इससे तेज प्रकाश के साथ गर्जना होती है एक अनुमान के मुताबिक साल भर में दो करोड़ 60 लाख होते हैं यह आकाश में बादलों के बीच टकराव के कारण उत्पन्न होते हैं, जिससे घर्षण के कारण एक इलेक्ट्रोस्टेटिक चार्ज निकलता है, इसके बाद तूफानी बादलों के कारण इसमें विद्युत आवेश पैदा होता है और यह तेजी से आसमान से जमीन की तरफ आता है, इस दौरान तेज कड़क के साथ आवाज सुनाई देती है और बिजली की स्पार्किंग की तरह ही यह आकाश में दिखाई देता है.

धरती की ओर आने के दौरान जो भी वस्तु धरती से ऊपर सबसे पहले संपर्क में आती है उस पर यह गिर जाता है. जिसके कारण आगजनी विध्वंस और जान माल की क्षति होती है, तड़ित चालक का प्रयोग गणित के दौरान भवनों की सुरक्षा के लिए किया जाता है, इसमें एक मोटी तांबे की पट्टी होती है, जिसके ऊपरी सिरे पर नुकीले से बने होते हैं इन नुकीले शुरू को भवनों के सबसे ऊपर लगा दिया जाता है, और दूसरे सरे को तांबे की पट्टी के साथ जमीन में गाड़ दिया जाता है.

इसपर जब आकाशीय बिजली गिरती है, तो तड़ित चालक के रास्ते सीधे जमीन में समाहित हो जाती है और इससे इमारत को कोई नुकसान नहीं पहुंचता, आकाशीय बिजली गिरने की वजह यह भी है, क्योंकि पृथ्वी विद्युत की सुचालक है, यह बादलों के बीच परत की तुलना में अपेक्षाकृत धनात्मक रूप से चार्ज होती है, परिणाम स्वरूप बिजली का अनुमानित 20 से 25% प्रवाह पृथ्वी की ओर निर्देशित हो जाता है जिससे यह विद्युत प्रभाव जीवन और संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है.

2 दिन में 76 मौतें

मध्य प्रदेश में बीते 2 दिनों में बैतूल शिवपुरी ग्वालियर श्योपुर पर आकाशीय बिजली गिरने से 12 लोगों की मौत हो चुकी है, इसके अलावा उत्तर प्रदेश के आगरा कानपुर प्रयागराज कौशांबी प्रतापगढ़ वाराणसी और रायबरेली में अकाशीय बिजली के 41 शिकार हुए लोगों की भी मौत हो चुकी है, सबसे पहले घटना राजस्थान के आमेर किले में सामने आई थी, जिसमें एक साथ 11 लोगों की हो गई थी, इसके अलावा यही कोटा झालावाड़ जोधपुर सहित एक दर्जन जिलों में 23 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

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मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी

इधर इंदौर में मौसम विभाग ने तूफानी हवाओं और वर्षा के साथ बिजली गिरने की चेतावनी फिर जाहिर की है, मौसम विशेषज्ञ के मुताबिक मानसून के दौरान अकाशीय बिजली की घटनाएं लगातार होंगी, लिहाजा किसानों को भी खेतों में नहीं निकलने और बिजली से बचाव के लिए पेड़ के नीचे नहीं जाने की सलाह दी गई है.

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