इंदौर। कोरोना मृतकों के परिजनों को दी जा रही राहत राशि वितरण के दौरान एक अनूठा मामला सामने आया. जन सुनवाई के दौरान इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ (a old man who die on paper)जिसमें एक जीवित व्यक्ति को मृत (collector sir tell me i alive or dead) बताकर उसके नाम अनुग्रह राशि जारी कर दी गई. मामले की खबर जब आवेदक और उसके परिजनों को लगी तो वे जिंदा को मृत बता दिए जाने के दोषी व्यक्ति पर कार्रवाई की गुहार लेकर जन सुनवाई में पहुंचे. आवेदकों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है. कोरोना से मृत बताए गए उनके परिजन अभी जिंदा हैं उन्हें मृत बताने की कार्रवाई जिसने भी की है उस दोषी को सजा दी जाए और गलती को तुरंत सुधारा जाए.
यह है पूरा मामला
इंदौर के सांवेर क्षेत्र के रहने वाले जानकीलाल को किसी अज्ञात व्यक्ति ने कोरोना को मृत बता दिया. इसके बाद उनके छोटे बेटे अभिषेक के नाम से फर्जी दस्तावेज लगाकर कोरोना की 50 हजार की अनुग्रह राशि लेने के आवेदन भी कर दिया. ऐसे प्रकरण में तत्काल कार्रवाई करते हुए जब पटवारी ने मृतक के नाम पर जारी की गई अनुग्रह राशि सौंपने के लिए जब जानकीलाल के परिजनों को फोन लगाया गया. इस फोन से जानकीलाल के बेटों को पता चला कि उनके पिता के नाम पर कोरोना मृतकों के परिजनों को जारी की जाने वाली किसी अज्ञात ने स्वीकृत करा ली है. परिजनों ने पटवारी को इस सच्चाई के बारे में बताया तो पटवारी भी आश्चर्य में पड़ गए. जिसके बाद जानकीलाल मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचे और खुद को जीवित बताते हुए दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.