ग्वालियर। एमपी के शिक्षा जगत का सबसे बड़ा घोटाला यानि व्यापमं फर्जीवाड़ा किसी से छिपा नहीं है. समय के साथ इस घोटले की फाइलें तो बंद हो रही हैं, लेकिन जख्म ऐसे हैं जिसने कई लोगों को सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है. लाखों युवाओं का भविष्य चौपट हो गया, साथ ही कई लोग जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं. ऐसा ही मामला ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज से जुड़ा है जहां एक महिला कर्मचारी संजू उइके को गजराराजा मेडिकल कॉलेज से यह कहकर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था कि उनकी अटेंडेंस कम है. संजू मेडिकल कॉलेज में रिकॉर्ड इंचार्ज थीं.
कहीं से नहीं मिली उम्मीद:संजू उइके गजराराजा मेडिकल कॉलेज की रिकॉर्ड इंचार्ज के साथ शॉर्ट हैंड टाइपिस्ट भी थीं. 2019 में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था, जिसकी वजह कॉलेज में अनुपस्थिति बताई गई थी. उन्होंने हर स्तर पर दरवाजा खटखटाया. लेकिन कहीं से भी उम्मीद नहीं मिली. दो साल से वह हाईकोर्ट के रास्ते में एक बस स्टॉप पर जिंदगी बिता रही हैं. व्यापमं फर्जीवाड़े का सबसे बड़ा केंद्र गजराराजा मेडिकल कॉलेज था. प्रबंधन द्वारा संजू को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था.
कॉलेज प्रबंधन पर प्रताड़ना के आरोप:अपनी बर्खास्तगी को लेकर संजू उइके के वकील ने हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में एक याचिका भी लगाई है. जिसमें उन्होनें कॉलेज प्रबंधन पर, उइके को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के साथ ही नौकरी से जबरदस्ती हटाने को लेकर सवाल उठाए हैं. ये भी कहा गया है कि संजू उइके को मेडिकल कॉलेज के अफसर फंसाना चाहते थे. उस पर गलत काम करने का दबाब बनाया जा रहा था. उसने इस सबसे इंकार किया तो कॉलेज प्रबंधन ने बोर्ड के जरिए बाहर का रास्ता दिखा दिया.