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Valentines Day Special: मृगनयनी की तीन शर्तों को पूरा कर राजा मानसिंह ने लिखी थी 'इश्क की दास्तां', इतिहास में दर्ज है अद्भुत प्रेम

इतिहास के पन्नों को पलट कर देखते हैं तो 14- 15 वीं शताब्दी में बनवाए गए ग्वालियर किले के गुजरी महल से भी प्रेम की एक ऐसी ही अनूठी दास्तां सामने आती है जो अद्भुत है, अनोखी है और इसे बार-बार याद करने का मन करता है. गुजरी महल प्रेम और विश्वास का प्रतीक माना जाता है.

raja man singh and gujari rani love story
राजा मान सिंह और गुजरी रानी की कहानी

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Published : Feb 12, 2022, 10:04 PM IST

ग्वालियर।कहते हैं अगर किसी पर प्यार का रंग चढ़ जाए तो उसे हर रंग फीका नजर आने लगता है. प्यार का एहसास होता ही ऐसा है जिसमें इंसान सब कुछ भूल जाता है. आज के दौर में प्यार के इस एहसास को बयां करने के लिए वैलेंटाइन डे जैसे पर्व गढ़े गए हैं. जब इस तरह की परंपराएं नहीं थीं, तब भी लोग प्यार के इस जादूई एहसास से अछूते नहीं थे.

राजा मान सिंह और गुजरी रानी की कहानी

महल के जर्रे-जर्रे में बसी है खूबसूरती
इतिहास में ऐसी कई प्रेम कहानियां दर्ज हैं, जिन्होंने बिना वैलेंटाइन डे के भी मुकम्मल इश्क की ऐसी दास्तां लिखीं जो आज भी याद की जाती हैं. ऐसी ही प्रेम कहानी थी राजा मानसिंह और रानी मृगनयनी की, जिसकी गवाही देता है ग्वालियर में बना यह गुजरी महल. इस महल को राजा मानसिंह ने अपनी गुजरी रानी मृगनयनी के लिए बनवाया था. इस महल के जर्रे-जर्रे में बसी खूबसूरती इस बात की तस्दीक करती है कि, राजा मानसिंह अपनी रानी से कितना प्यार करता थे.

ऐसे शुरू हुई 'इश्क की दास्तां'
राजा मानसिंह और मृगनयनी की यह कहानी शुरू होती है ग्वालियर से करीब 50 किलोमीटर दूर बसे राई गांव से, जहां मृगनयनी की बहादुरी देखकर राजा मानसिंह उस पर फ़िदा हो गए थे. राजा मानसिंह का काफिला जब वहां से गुज़र रहा था तो उन्होंने देखा कि, एक बच्चे पर हमला करने जा रहे जंगली भैंसे को मृगनयनी ने एक वार में ही रोक दिया. जबकि वहां खड़े बहुत से लोगों की भैंसे को रोकने की हिम्मत नहीं हो रही थी.

बहादुरी देख रखा विवाह का प्रस्ताव
मृगनयनी की बहादुरी देख मानसिंह ने वहीं उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा. जिसे मृगनयनी ने स्वीकार तो किया, लेकिन राजा मानसिंह के सामने कुछ शर्तें भी रखीं.

वो तीन शर्त
मृगनयनी ने राजा के सामने तीन शर्तें रखीं जिनमें से पहली शर्तथी कि,ग्वालियर में उन्हें पीने के लिए उसी नदी का पानी मिले जो उनके गांव में बहती है. दूसरी शर्तथी कि,उनके लिए अलग महल का निर्माण कराया जाए, तीसरी और आखिरी शर्तथी कि, वह रणक्षेत्र में हर समय राजा के साथ रहेंगी.

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प्यार में दीवाने थे राजा मानसिंह
राजा मानसिंह जो मृगनयनी के प्यार में दीवाने हो चुके थे, उन्होंने रानी को अपना बनाने के लिये उनकी तीनों शर्तें मान लीं. राजा ने अपने प्यार को पाने के लिये 17वीं शताब्दी में वह काम किया जो आज तमाम मशीनों के होते हुए भी आसान नहीं थे. इतना ही नहीं राजा मानसिंह और रानी गुजरी के प्यार की दुश्वारियां यहां तक ही सीमित नहीं थीं, उनके गुजर होने की वजह से महल में भी इसका विरोध हुआ.

आज भी दी जाती है मिसाल
जातिप्रथा से जकड़े समाज में राजदरबार के कई लोग इसके लिए राजी न थे कि, एक गुजर महिला उनकी रानी बने. हालाकि, दुनियावी बंधनों में जो बंध जाए वो प्यार ही क्या. इसलिए राजा मानसिंह ने इन सारे विरोधों को दरकिनार कर इतिहास के पन्नों में प्यार की वो सुनहरी दास्तान लिख दी, जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है.

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