ग्वालियर।एक समय था जब मकानों के निर्माण में तड़ित चालक का विशेष तौर पर ध्यान रखा जाता था, चाहे मकान एक मंजिला हो, या बहुमंजिला, वहां तड़ित चालक लगाकर आकाशीय बिजली से सुरक्षा सुनिश्चित की जाती थी, पहले के निर्माण और वर्तमान के निर्माण में जमीन आसमान का अंतर है, लेकिन अब अधिकांश निर्माण आरसीसी और लोहे के सरियों से ही पूरे होते हैं.
अब इमारतों में नहीं लगाए जाते तड़ित चालक यंत्र
पुराने समय में पत्थरों के मकान हुआ करते थे, गारा और पत्थरों से इसका निर्माण होता था, उस समय तड़ित चालक यंत्र विशेष तौर पर लगवाया जाता था, लेकिन अब इमारतों के निर्माण का तरीका बदल गया है, सीमेंट, कंक्रीट, सरिया से अब बिल्डिंग बनाई जाती है, जिसमें अब ना तो अर्थिंग के लिए कोई अलग से व्यवस्था रहती है, और ना ही तड़ित चालक यंत्र लगाए जाते हैं.
नगर निगम नहीं दे रहा ध्यान
नगर निगम के भवन निर्माण में इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर की नियुक्ति सिर्फ यही देखने के लिए होती है कि तीन मंजिला और उससे अधिक ऊंचे निर्माणों में तड़ित चालक यंत्र की उपलब्धता है या नहीं, ग्वालियर में ऐसी तमाम इमारतें हैं, जहां तड़ित चालक नहीं लगे हैं, नगर निगम की ओर से इन्हें नोटिस भी नहीं दिया गया है.
इनमें ज्यादातर निर्माण नए हैं, इसके पीछे एक सोच यह भी बताई जाती है कि पहले मकानों में सरिए और आरसीसी का निर्माण नहीं होता था, इसलिए कई लोग तड़ित चालक यंत्र नहीं लगवा रहे हैं, ना ही अर्थिंग के लिए कोई इंतजाम कर रहे हैं.
कुछ पुराने मकानों में आज भी तड़ित चालक यंत्र लगे देखे जा सकते हैं, ग्वालियर ऐतिहासिक शहर है यहां रियासत कालीन इमारतों में तड़ित चालक लगे हैं, कई तड़ित चालक नॉन वर्किंग कंडीशन में हैं.
घर को सुरक्षित रखता है तड़ित चालक यंत्र