ग्वालियर। किताब के पन्नों में भूत-वर्तमान सब दर्ज होता है और बिना किताब के भविष्य भी मुकम्मल नहीं होता. यही वजह है कि काम वाली बाई की बेटी के लिए किताबों का इंतजाम करने वाले श्रीकांत कांटे ने अपने घर में ही किताबों की दुनिया बसा डाली और किताबों की इसी दुनिया से पिछले आठ साल से जरूरतमंद बच्चों की दुनिया रोशन हो रही है.
ग्वालियर में किताबों के बीच अपनी दुनिया बसाने वाले श्रीकांत कांटे यूं तो शासकीय कर्मचारी हैं, पर आज इन्होंने अपना जीवन मानवता को समर्पित कर दिया है. 8 साल पहले उनके घर में काम करने वाली बाई ने अपनी बेटी के लिए किताबों का इंतजाम करने की गुजारिश की थी. जिसे खरीदना उसके बस में नहीं था, लिहाजा कांटे ने उस बच्ची को किताबें मुहैया कराईं, तभी उनके मन में खयाल आया कि किताबों के बिना गरीब बच्चे अपना भविष्य कैसे संवारते होंगे. बस उनकी इसी सोच ने उन्हें गरीब बच्चों का मसीहा बना दिया.