ग्वालियर।मध्य प्रदेश के मुखिया सीएम शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में माफियाओं पर लगाम लगाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन ग्वालियर चंबल अंचल में अभी भी माफिया बेलगाम हैं. यही वजह है कि ग्वालियर चंबल संभाग में अवैध उत्खनन रुकने का नाम नहीं ले रहा है, माफिया नदी और वन संपदा को लगातार नुकसान पहुंचाने में लगे हुए हैं. सबसे हैरत की बात यह है कि जिन पर जंगलों की रक्षा करने की जिम्मेदारी है, वही इसे रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं. इस बात का खुलासा खुद फॉरेस्ट विभाग की स्थिति ऐप के उड़न दस्ते की जांच में हुआ है, जिसके बाद इस मामले में मुरैना के तत्कालीन डीएफओ अमित बसंत निगम, डीएफओ देवेंद्र सिंह, रंजन सिंह और डिप्टी रेंजर वनरक्षक पत्र दिया है. (Gwalior Chambal Zone Mafia) (Son Chiraiya Sanctuary Sand Stone Smuggling)
सबसे ज्यादा चंबल नदी हुई छलनी: जंगल की रखवाली वनों की सुरक्षा के दावे ही करते रहे और माफियाओं ने चंबल नदी अभ्यारण सोनचिरैया अभ्यारण और आरक्षित जंगलों से 31478.43 घन मीटर वन संपदा निकाल कर बाजार में बेच दी, जिसकी कीमत लगभग 4 से 5 करोड़ रुपए बताई जा रही है. यह खुलासा उत्खनन की शिकायतों के बाद बनाई गई उड़न दस्ते की जांच में हुआ है, जांच में पता लगा है कि माफियाओं ने सबसे ज्यादा चंबल नदी को छलनी किया है. राजघाट पुल पर सैकड़ों की संख्या में माफिया लगातार अवैध रेत का उत्खनन कर रहे हैं, लेकिन पुलिस प्रशासन और वन विभाग गहरी नींद में सोया हुआ है.
मामले पर राजनीति शुरू:हाल ही में ग्वालियर के सोनचिरैया अभ्यारण की डंडाखिरक और जखोदि में मिले अवैध फर्शी पत्थर खनन पर वनरक्षक और डिप्टी रेंजर को आरोप पत्र दिया गया है, विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर अफसर और स्टाफ के वेतन से राशि की कटौती की जाएगी. जांच में टीम ने फर्शी पत्थर और चंबल नदी से निकाली गई रेत की कीमत लगभग 4 करोड़ आंकी है, वहीं सोनचिरैया अभ्यारण क्षेत्र के जखोदी बीट में 11 नए गड्डों के लिए जंगल की सफाई जेसीबी से हुई है. इस दौरान पेड़ काटे और जंगल की मिट्टी आदि चीजों को नुकसान पहुंचा, यह करीब 992.75 घन मीटर बताया जा रहा है. फिलहाल इस मामले को लेकर नेता राजनीति करने में लग गए है.