ग्वालियर। नवरात्रि शुरू होने वाली है और इस मौके पर देशभर में मां दुर्गा के मंदिरों में शारदीय नवरात्रि 2022 की धूम देखी जा सकेगी, आदि शक्ति मां दुर्गा के मंदिरों में दूर-दूर से लोग दर्शन करने के लिए पहुंचेंगे. नवरात्रि के मौके पर मां दुर्गा के मंदिर के बारे में बताएंगे जो ग्वालियर में स्थित है, ग्वालियर शहर के बीचोबीच पहाड़ी पर लगभग 150 साल पुराना मांढरे की माता का मंदिर हमेशा भक्तों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र रहा है और सबसे खास बात यह है कि मांढरे की माता सिंधिया राजघराने की कुलदेवी हैं. सिंधिया राजपरिवार के मुखिया कहीं भी रहें, लेकिन हर साल मां के दरबार में हाजिरी जरूर लगानी पड़ती है. यह सिंधिया राजपरिवार कभी भी अपना नया काम करते हैं तो मंदिर पर माथा टेकने के लिए जरूर पहुंचते हैं. मांढरे की माता का मंदिर 13 बीघा बना हुआ है और यह पूरी जमीन रियासत काल में सिंधिया राजवंश ने प्रदान की थी. जानिए सिंधिया परिवार की कुलदेवी मांढरे की माता का रोचक इतिहास-
ऐसे महाराष्ट्र से ग्वालियर पहुंचीं माता: 150 वर्ष पहले महाराष्ट्र के सतारा में मांढरे की माता का एक मंदिर था, इस मंदिर की पूजा आनंदराव मांढरे करते थे. उस वक्त ग्वालियर के महाराज जयाजीराव सिंधिया वहां से आनंद राव मांढरे को अपने साथ महल में लेकर आए और उन्हें सेना की जिम्मेदारी सौंप दी. कुछ दिन तक आनंद राव मांढरे ग्वालियर में रहे, लेकिन कुछ दिन बाद आनंद राव को माता ने सपने में दर्शन दिए और आने वाले खतरे को आगाह करने लगी. लगातार यह सपना आने लगा तो एक बार माता ने आनंदराव मांढरे को सपने में कहा था कि या तो तू मेरे पास आ जा या फिर मुझे अपने पास ले चल, उसके बाद आनंद राव ने यह बात महाराज को बताई और महाराज ने महाराष्ट्र जाकर माता की प्रतिमा को ग्वालियर लेकर आये और उसके बाद यहां पर स्थापित किया. Shardiya Navratri 2022
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