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Shardiya Navratri 2022: हर शुभ काम के पहले इस मंदिर में शीश झुकाता है सिंधिया परिवार, जानिए मांढरे की माता पूरी कहानी

सिंधिया परिवार पर मांढरे की माता की विशेष कृपा रहती है, मांढरे की माता सिंधिया राजवंश की कुलदेवी हैं, जबकि अंचल के लोगों की भी मांढरे की माता पर अटूट श्रद्धा है, शारदीय नवरात्रि में यहां मेला लगता है और सिंधिया राजवंश का पूरा परिवार यहां पूजा-पाठ राजकीय पोशाक में करता है. Shardiya Navratri 2022, kuldevi of scindia royal family, gwalior mandre ki mata temple

gwalior mandre ki mata temple
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Published : Sep 23, 2022, 6:57 AM IST

Updated : Sep 23, 2022, 1:55 PM IST

ग्वालियर। नवरात्रि शुरू होने वाली है और इस मौके पर देशभर में मां दुर्गा के मंदिरों में शारदीय नवरात्रि 2022 की धूम देखी जा सकेगी, आदि शक्ति मां दुर्गा के मंदिरों में दूर-दूर से लोग दर्शन करने के लिए पहुंचेंगे. नवरात्रि के मौके पर मां दुर्गा के मंदिर के बारे में बताएंगे जो ग्वालियर में स्थित है, ग्वालियर शहर के बीचोबीच पहाड़ी पर लगभग 150 साल पुराना मांढरे की माता का मंदिर हमेशा भक्तों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र रहा है और सबसे खास बात यह है कि मांढरे की माता सिंधिया राजघराने की कुलदेवी हैं. सिंधिया राजपरिवार के मुखिया कहीं भी रहें, लेकिन हर साल मां के दरबार में हाजिरी जरूर लगानी पड़ती है. यह सिंधिया राजपरिवार कभी भी अपना नया काम करते हैं तो मंदिर पर माथा टेकने के लिए जरूर पहुंचते हैं. मांढरे की माता का मंदिर 13 बीघा बना हुआ है और यह पूरी जमीन रियासत काल में सिंधिया राजवंश ने प्रदान की थी. जानिए सिंधिया परिवार की कुलदेवी मांढरे की माता का रोचक इतिहास-

हर शुभ काम के पहले मांढरे मंदिर में शीश झुकाता है सिंधिया परिवार

ऐसे महाराष्ट्र से ग्वालियर पहुंचीं माता: 150 वर्ष पहले महाराष्ट्र के सतारा में मांढरे की माता का एक मंदिर था, इस मंदिर की पूजा आनंदराव मांढरे करते थे. उस वक्त ग्वालियर के महाराज जयाजीराव सिंधिया वहां से आनंद राव मांढरे को अपने साथ महल में लेकर आए और उन्हें सेना की जिम्मेदारी सौंप दी. कुछ दिन तक आनंद राव मांढरे ग्वालियर में रहे, लेकिन कुछ दिन बाद आनंद राव को माता ने सपने में दर्शन दिए और आने वाले खतरे को आगाह करने लगी. लगातार यह सपना आने लगा तो एक बार माता ने आनंदराव मांढरे को सपने में कहा था कि या तो तू मेरे पास आ जा या फिर मुझे अपने पास ले चल, उसके बाद आनंद राव ने यह बात महाराज को बताई और महाराज ने महाराष्ट्र जाकर माता की प्रतिमा को ग्वालियर लेकर आये और उसके बाद यहां पर स्थापित किया. Shardiya Navratri 2022

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दशहरे पर सिंधिया परिवार करता है कुलदेवी की पूजा:ग्वालियर शहर के बीचोबीच ऊंची पहाड़ी पर मांढरे की माता का मंदिर स्थित है और यह मंदिर सिंधिया परिवार के महल के ठीक सामने है. कहा जाता है कि विजय विलास पैलेस से एक बड़ी दूरबीन के माध्यम से सिंधिया परिवार रोज माता के दर्शन किया करता था, सिंधिया राजपरिवार की कुलदेवी होने के कारण यह राजवंश परिवार जब भी कोई शुभ कार्य करता है तो मां के दर्शन करने के लिए जरूर पहुंचता है. इसके साथ ही दशहरे के दिन माता की विशेष पूजा अर्चना भी सिंधिया राजपरिवार के द्वारा की जाती है. सिंधिया परिवार के मुखिया राजकीय पोशाक के साथ यहां पर मां के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं, अभी तक कभी ऐसा मौका नहीं आया है जब सिंधिया राजपरिवार ने माता की पूजा न की हो. दशहरे के मौके पर सिंधिया परिवार राजवंश का पूरा परिवार मां के दर्शन करने के लिए पहुंचता है. kuldevi of scindia royal family

नवरात्रि में लगता है विशाल मेला:बताया यह भी जाता है कि सिंधिया परिवार पर मांढरे की माता की विशेष कृपा है, यही वजह है कि जब सिंधिया परिवार पर कोई संकट आता है तो वह सपने में उनको आगाह कर देती है. ऐसी घटना कई बार सिंधिया परिवार के सामने घटित हुई है. सिंधिया परिवार के तत्कालीन राजा जीवाजीराव सिंधिया पर मां की विशेष कृपा थी, जब भी सिंधिया परिवार पर संकट आया है तब मां ने सपने में उनको आगाह किया है. यही वजह है कि सिंधिया राजपरिवार मां पर अटूट श्रद्धा रखता है, इसके साथ ही नवरात्रि के दिन यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं और 9 दिनों तक यहां पर विशाल मेला भी लगता है. gwalior mandre ki mata temple

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Last Updated : Sep 23, 2022, 1:55 PM IST

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