ग्वालियर। सावन के महीने की शुरुआत हो चुकी है, ऐसे में देश में कई भगवान शिव की मंदिर है जिनकी अनोखी महिमा है और ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित है जो भगवान अचलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में भगवान अचलेश्वर के शिवलिंग को हटाने के लिए राजा, महाराजा ने बड़ी से बड़ी सेना लगवा ली, लेकिन इस शिवलिंग को हिला भी नहीं सके. इस शिवलिंग को बीच सड़क से हटाने के लिए ना केवल हाथियों के बल का प्रयोग किया गया, बल्कि इसे खोदकर निकालने की कोशिश भी की गई, लेकिन स्वयंभू को कोई हिला भी नहीं सका. यही वजह है कि आज शहर के बीचों-बीच सड़क पर आज भी यह शिवलिंग विराजमान है, जिसे भगवान अचलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. (Achaleshwar Mahadev Temple) (Sawan 2022)
हाथियों के बल से भी नहीं निकली थी अचलेश्वर महादेव की शिवलिंग पेड़ हटाने के बाद प्रकट हुई शिवलिंग:लगभग 750 साल पहले जिस स्थान पर आज मंदिर है, वहां एक पीपल का पेड़ हुआ करता था. यह पेड़ सड़क के बीचों-बीच होने के कारण लोगों के आवागमन में परेशानी उत्पन्न होती थी. सबसे ज्यादा परेशानी सिंधिया परिवार को उस समय उठानी पड़ती थी, जब विजय दशमी के अवसर पर सिंधिया परिवार की शाही सवारी निकलती थी और यह मार्ग रास्ते में आता था. जिसके बाद इस पेड़ को हटाने के लिए शासकों ने आदेश दिए, लेकिन पेड़ हटते ही वहां एक स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हो गई, जिसे हटाने के लिए काफी मेहनत की, पर वह नहीं हटी.
14 जुलाई का राशिफल: सावन पर्व आज से शुूरू, मिथुन राशि वालों पर होगी विशेष कृपा, जानें किन्हें करियर में मिलेगा ग्रोथ, कैसे होगा धन लाभ
हाथियों के बल से भी नहीं निकली थी शिवलिंग:सिंधिया राजवंश ने इस शिवलिंग को बीच सड़क से हटाने के लिए पहले गहरी खुदाई की, लेकिन शिवलिंग का कोई छोर नहीं मिला. जिसके बाद सिंधिया परिवार ने हाथियों से इस शिवलिंग को बांधकर उखाड़ने की कोशिश की, लेकिन जंजीर ही टूट गई. इसके बाद स्वयंभू महादेव ने तत्कालीन राजा को रात में सपने में आए और कहा कि "यदि यह मूर्ति खंडित हो गई तो, तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का सर्वनाश हो जाएगा." इसके बाद सुबह राजा ने शिवलिंग के पास पहुंचकर पूजा-अर्चना की और इस पिंडी की प्रतिष्ठा कराई, जिसके बाद से यह पिंडी आज भी सड़क के बीचों-बीच विराजमान है.
यहां हर मुराद होती है पूरी:अचलेश्वर महादेव के प्रति लोगों की काफी गहरी आस्था है, रोज सुबह-शाम भगवान के दर्शन करने के लिए सैकड़ों लोग यहां पहुंचते हैं. इसके साथ ही पूरे उत्तर भारत में मान्यता है कि भगवान अचलेश्वर महादेव के दरबार में जो मत्था टेकने पहुंचता है, बाबा अचलेश्वर उसको इच्छापूर्ति का वरदान देते हैं. यही वजह है कि बाबा अचलेश्वर महादेव के दरबार में हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है. इसके साथ ही श्रावण मास के महीने में दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान अचलेश्वर महादेव के यहां पहुंचते हैं, और इच्छापूर्ति का वरदान मांगते हैं. सावन मास के महीने में रोज दर्जनों भर अभिषेक होते हैं.
14 जुलाई का पंचांगः सावन शुरू, आज के दिन इस नक्षत्र में करें पूजा-अर्चना, जानें राहुकाल की दशा