ग्वालियर। कोरोना की आपदा में हर कोई उम्मीद करता है कि लोग एक दूसरे की मदद के लिए आगे आएंगे. लेकिन दुर्भाग्य से कुछ लोग ऐसे हैं, जो आपदा में स्वार्थ को नहीं छोड़ पा रहे हैं. कई प्राइवेट हॉस्पिटल ने कैशलेस वाले इंश्योरेंस कार्ड और आयुष्मान कार्ड से इलाज करने से मना कर दिया है. कुछ हॉस्पिटल तो यह खुलकर कह रहे हैं, तो कुछ बेड की कमी बताकर कोविड मरीजों को भर्ती करने इंकार कर रहे हैं. अगर आपको प्राइवेट अस्पताल में इलाज लेना है तो कैशलेस कार्ड नहीं चलेगा, भारी भरकम कैश ले जाना होगा.
आपदा में काम का नहीं बीमा कार्ड, only cash
कोरोना महामारी में स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के पास मेडिक्लेम लेने के लिए स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी धारकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालात यह है कि ज्यादातर हॉस्पिटल्स ने बीमा कंपनियों के casehless कार्ड से इलाज करना ही बंद कर दिया है. अस्पताल मरीजों के परिजनों से सिर्फ कैश ले रहे हैं.अगर मरीज के पास स्वास्थ्य बीमा की सुविधा है, तो अस्पताल उन्हे गुमराह कर रहा है. उन्हें बेड नहीं होने की बात कहकर बैरंग लौटाया जा रहा है.
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प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होने वाले स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी धारक मरीज को भी अपनी जेब से नगद पैसा देना पड़ रहा है.शहर में अधिकतर निजी अस्पताल कोरोना मरीज को भर्ती कराने से पहले 70 से 80 हजार रुपए एडवांस में जमा करा रहे हैं. उसके बाद मरीज को भर्ती कर रहे हैं. कई मरीज ऐसे हैं जो इसी उम्मीद में प्राइवेट अस्पताल आए हैं कि उनके पास कैशलेस कार्ड है. जैसे ही वह निजी अस्पताल पहुंच रहे हैं तो उन्हें बेड नहीं होने का बहाना बताया जा रहा है. सबकुछ जानते हुए भी प्रशासन इन अस्पतालों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं कर रहा है.
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