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गरीब का निकल जाएगा दम! : काम ना रोजगार, दो रोटी के लिए कितना इंतजार ?

कोरोना ने गरीब लोगों की रोजी रोटी छीन ली. सरकार ने ऐलान किया कि हम गरीबों को तीन महीने का राशन एक साथ देंगे. राशन की दुकानों पर लंबी लाइनें लग गईं, लेकिन राशन नहीं मिला.

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काम ना रोजगार, दो रोटी के लिए कितना इंतजार

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Published : Apr 23, 2021, 6:49 PM IST

Updated : Apr 23, 2021, 7:57 PM IST

सागर/ग्वालियर/जबलपुर। कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है. बड़े-बड़े देशों की अर्थव्यवस्था धराशाई हो गई. भारत में भी कोरोना की second wave कहर ढा रही है. गरीब लोगों पर इसकी दोहरी मार पड़ी है. एक तो जान बचाने की चुनौती, दूसरी अपना और परिवार के लिए रोटी का इंतजाम करना.

थोथी घोषणाएं, नहीं मिल रहा अनाज

कोरोना कर्फ्यू के चलते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने गरीबों को 3 महीने का राशन एक साथ देने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक राशन बांटने का काम शुरू नहीं हुआ है. मुख्यमंत्री का एलान सुनकर गरीब जनता सुबह होते ही राशन की दुकान पर जमा हो गई. लंबी लाइनें लग गईं, लेकिन राशन दुकान नहीं खुली.

काम ना रोजगार, दो रोटी के लिए कितना इंतजार ?

राशन की दुकान के बाहर लंबी कतारें,लेकिन दुकान पर ताला

तीन महीने का राशन एक साथ मिलने के ऐलान से गरीब आदमी को इस बात का संतोष था, कि तीन महीने तो भूखा नहीं सोना पड़ेगा. इसलिए आधी नींद से जागकर लोग सुबह से ही राशन दुकान के आगे लाइन लगाकर खड़े हो गए. सुबह से दोपहर और फिर शाम हो जाती है, लेकिन राशन की दुकान का ताला नहीं खुलता. सुबह से लाइन में खड़े मनोज का कहना है कि दोपहर तक यूं ही खड़े रहते हैं. दुकान खुलती ही नहीं. बता रहे हैं कि दुकानदार बीमार है. इसलिए दुकान नहीं खुली. लेकिन दुकान पर किसी और को तो बैठा सकते हैं. सात दिन हो गए. रोज आते हैं, धूप में लाइन में लगते हैं और खाली हाथ चले जाते हैं.

गरीबों की कोई नहीं सुनने वाला

राशन की दुकान के बाहर लाइन में लगे सुनील कहते हैं. काम धंधा है नहीं, राशन के लिए लाइन में सुबह-सुबह लग जाते हैं. लेकिन गरीब की कौन सुनता है ? राशन की दुकान 7 दिनों से खुली ही नहीं. मूरत की भी यही शिकायत है. उन्होंने बताया कि, पिछले महीने का राशन तो मिल गया था. आगे का राशन लेने के लिए लाइन में लगे हैं. 4-5 दिन से रोज आते हैं. लाइन में लगे रहते हैं, फिर खाली थैला लेकर घर लौट जाते हैं.

ग्वालियर में उचित मूल्य की दुकानों पर गेहूं-चावल की जगह बाजरा दिया जा रहा है. अनाज लेने आई एक महिला ने बताया किदुकानों पर बाजरा ज्यादा दिया जा रहा है. गर्मी में बाजरे को पशु भी नहीं खाते. अगर ये गर्मी में लोगों ने खा लिया, तो कोरोना से तो पता नहीं, बाजरा खाकर जरूर मर जाएंगे. दुकानदार की अपनी मजबूरी है, उसका कहना है कि जो सरकार दे रही है, वही हम बांट रहे हैं.

राशन बांट रहे हैं या कोरोना

जबलपुर के ग्रामीण इलाकों में दो राशन विक्रेताओं की कोरोना की चपेट में आने से मौत हो चुकी है. शहर में राशन की लगभग 500 दुकानें हैं. इनमें से 10% विक्रेता कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. इसलिए ज्यादातर दुकानें बंद हैं या फिर थोड़ी देर के लिए ही खुल रही हैं. राशन बांटने में बायोमेट्रिक मशीन का इस्तेमाल होता है. इसमें लाभार्थी को मशीन पर thumb impression के लिए अंगूठा भी लगाना पड़ता है. इससे कोरोना संक्रमण का खतरा बना रहता है. दुकानदार का कहना है कि राशन वितरण को ऑफलाइन किया जाए. हम जान को खतरे में डालकर राशन बांट रहे हैं. सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए.

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गरीबों को सरकारी राशन की दुकानों से सस्ता अनाज मिलता है, लेकिन कोरोना के कारण ये सिस्टम भी चरमरा गया है. नतीजा ये हुआ कि काम धंधा खो चुके गरीबों को दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं हो पा रहा है.

Last Updated : Apr 23, 2021, 7:57 PM IST

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