ग्वालियर।गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के 300 से ज्यादा जूनियर डॉक्टरों ने अपने इस्तीफे गुरुवार दोपहर जीआरएमसी के डीन डॉ. समीर गुप्ता को सौंप दिए. पूरे प्रदेश में 3000 से ज्यादा डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफे दिए हैं. अपनी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से जूनियर डॉक्टर्स हड़ताल कर रहे हैं. जूनियर डॉक्टरों ने अपना दर्द जाहिर करते हुए कहा है कि वह सरकार से बातचीत करने के लिए तैयार है, लेकिन सरकार अपने अड़ियल रवैये पर डटी हुई है.
जूनियर डॉक्टरों ने दिया सामूहिक इस्तीफा सरकार कह रही है कि डॉक्टरों की चार सूत्रीय मांगों को मान लिया गया है, लेकिन यह चा सूत्रीय मांगें कौन-कौन सी मानी गई है इसके बारे में खुद जूनियर डॉक्टरों को भी नहीं पता है. जूनियर डॉक्टर्स का कहना है कि वह कई दिनों से चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से अपनी समस्याओं को लेकर मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार सिर्फ आश्वासन दिए जा रही है. ऐसे में उनके पास इस्तीफा देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है.
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मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही सरकार
उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान जूनियर डॉक्टरों ने अपनी जान जोखिम में डालकर मरीजों की सेवा की है, लेकिन उनकी मांगों को सरकार अभी भी गंभीरता से नहीं ले रही है. जूडा के अनुसार तीन साल पहले जूनियर डॉक्टरों को सरकार ने लिखित आश्वासन दिया था कि हर साल इंक्रीमेंट दिया जाएगा, लेकिन अब तक नहीं दिया गया. मांग यह भी थी कि कोविड ड्यूटी को एक साल ग्रामीण अनुबंध में जोड़ा जाए, इसके लिए कमेटी बनाई जाए.
जूडा की हड़ताल: अगर मांगे नहीं मानी, तो कोविड ड्यूटी भी बंद कर देंगे
आगे की रणनीति पर होगा विचार
डॉ.अंकिता त्रिपाठी ने बताया कि जूडा व मरीजों की सुरक्षा के लिए पुलिस लगाने की भी मांग की गई थी. साथ ही जूडा के परिजन का मुफ्त इलाज एवं उनके लिए बेड आरक्षित किए जाने की भी मांग थी. डीन को इस्तीफा सौंपने पर डॉ. अंकिता त्रिपाठी ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने हमारी मांगें पूरा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन वो वादे से मुकर गए हैं. हम पूरी कोशिश कर रह हैं कि अगले 24 घंटों में सरकार से इस संबंध में चर्चा हो जाए, नहीं तो हमें आगे की रणनीति पर विचार करना होगा.