ग्वालियर।देश आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है. यही वजह है कि इस समय हर घर वाहन और सड़क पर चलने वाले लोगों के हाथों में तिरंगा लहरा रहा है. इस मौके पर आज हम आपको क्रांतिकारियों के गढ़ ग्वालियर चंबल अंचल के बारे में बताएंगे जो कभी 1857 से लेकर अब तक क्रांतिकारियों का गढ़ रहा है. यहां पर वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, बिस्मिल प्रसाद, तात्या टोपे सहित तमाम क्रांतिकारियों की शरण स्थली रहा है. इसी ग्वालियर चंबल अंचल में यह सभी क्रांतिकारी अंग्रेजों के विरुद्ध रणनीति तैयार करते थे. यही कारण है कि ग्वालियर चंबल अंचल को क्रांतिकारियों के की शरण स्थली कहा जाता है.
युवाओं का किया गया था कत्लेआम:आजादी की पहली लड़ाई 1857 में मंगल पांडे से शुरू हुई और ग्वालियर में लक्ष्मी बाई के बलिदान पर समाप्त हुई. लक्ष्मीबाई कालपी से चलकर ग्वालियर आई थी तो निश्चित रूप से यह इलाका पूरी तरीके से क्रांतिकारियों का माना जाता है. रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान हो गया तो उसके बाद अंग्रेजों ने जब दोबारा से आक्रमण किया तो पूरे इलाके में खासतौर पर भिंड, मुरैना जिले में बड़ी संख्या में युवाओं का कत्लेआम किया गया. आंदोलन के प्रति युवाओं का प्रेम घटने की जगह और बढ़ गया. हालात यह हुए कि जब 19वीं शताब्दी में दोबारा से आंदोलन शुरू हुआ तो यह आंदोलन तेजी से गति पकड़ा. क्रांतिकारियों का एक बड़ा केंद्र मुरैना, भिंड और ग्वालियर बन गया. यही वजह है कि 1857 से लेकर जो क्रांतिकारियों की टोली थी वह ग्वालियर-चंबल अंचल में अंग्रेजों के विरुद्ध रणनीति तैयार करती थी.
यहां चलती थी क्रांतिकारी गतिविधियां: इसके पीछे एक भौगोलिक कारण भी है, क्योंकि ग्वालियर में डायरेक्ट अंग्रेजों का शासन नहीं था. यहां सिंधिया रियासत की सरकार थी. आंदोलन चलाने का अधिकार नहीं था. क्योंकि कांग्रेस का गठन नहीं किया गया,अंचल के आसपास आगरा इटावा झांसी उरई इलाके सीधे अंग्रेजो के कब्जे में थे. यहां क्रांतिकारी गतिविधियां चलती थी. इन लोगों को ग्वालियर चंबल अंचल में संरक्षण पाना बहुत आसान था. क्योंकि यहां पर कुछ जंगल और बीहड़ भी थे. शहर में सिंधिया का शासन था. इसलिए क्रांतिकारियों के प्रति जो सिंधिया रियासत का खुफिया तंत्र था. वह मजबूती से कार्रवाई नहीं करता था. इसलिए जो क्रांतिकारी थे वह ग्वालियर में ही अपनी रणनीति तैयार करते थे. यहीं से अंग्रेजो के खिलाफ गतिविधियां चलाते थे.