ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग में अवैध उत्खनन (illegal mining in bhind)का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसे लेकर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में एक पिटीशन फाइल की गई थी. जिसमें भिंड जिले की गोहद तहसील में किसानों की जमीन को खनन माफियाओं के खरीदने और वहां से काली गड्डी का अवैध खनन करने की बात कही गई थी. इससे आसपास के गावों किसानों की फसलें बर्बाद होने और राज्य सरकार को 20 करोड़ रुपए का नुकसान का आरोप लगाया गया था.
11 विभागों को जारी हुआ नोटिस
मामले की सुनवाई को दौरान हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने सोमवार को राज्य सरकार, भिंड कलेक्टर, भिंड एसपी और माइनिंग विभाग के साथ-साथ 11 विभागों को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने नोटिस पर 4 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.
आजादी के बाद भी बिजली से महरूम 7 गांव
उमरिया जिले की पाली क्षेत्र के आदिवासी बाहुल्य सात गांवों में आजादी के सात दशक बाद भी बिजली की सुविधा नहीं है. इसी को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया है कि जहां पूरा देश विकास कर रहा है, वहीं इन सात गांव के नागरिकों को बिजली के बिना अपना जीवन ज्ञापन करना पड रहा है. जस्टिस शील नागू व जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की डबल बेंच ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.
उमरिया जिले की चौरई के कठई गांव निवासी कमलेश बैगा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि देश को आजाद हुए 70 साल बीत चुके है, लेकिन उमरिया जिले के उक्त जामुही, संस, चिकनी, कठई, गुनरौला व पटपरिहा, मकाउ गांवों में आज तक बिजली नहीं पहुंची है. जिससे गांव के बच्चों को पढ़ाई और किसानों को खेती किसानी के काम में भारी परेशानी उठानी पड़ती है. जिम्मेदार अधिकारियों को बिजली की आपूर्ती करवाने के लिए कई बार आवेदन दिये गये, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली है. मामले में मप्र शासन के प्रमुख सचिव, आदिवासी कल्याण मंत्रालय के सचिव, ऊर्जा मंत्रालय के सचिव, कलेक्टर उमरिया व एसडीओ पाली को पक्षकार बनाया गया है. मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.
दूसरी शादी के बाद फिर से मातृत्व अवकाश की मांग
दूसरी शादी करने के बाद पुन दो बच्चों के लिए मातृत्व अवकाश दिए जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट में मप्र सिविल सर्विस(अवकाश) नियम के तहत सिर्फ दो बच्चों के लिए मातृत्व अवकाश देने का प्रावधान है. इस मामले में हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस एमएस भटटी की युगलपीठ याचिका पर अगली सुनवाई 28 फरवरी को करेगी.
याचिका सिहोरा के पौडी कला में पदस्थ प्राथमिक शिक्षिका की तरफ से दायर की गयी है. याचिका में कहा गया है कि उसका पहला विवाह साल 2002 में हुआ था. पहले पति से उसके दो बच्चे है और परिवारिक विवाद के कारण उनका साल 2018 में तलाक हो गया था. तलाक के बाद उसने साल 2021 में दूसरा विवाह कर लिया.अब वह गर्भवती है और शीघ्र बच्चे को जन्म देने वाली है. सिविल सर्विस (अवकाश) नियम के तहत सिर्फ दो बच्चों के लिए मातृत्व अवकाश देने का प्रावधान है. याचिका में इस नियम को चुनौती देते हुए कहा गया है कि दूसरी शादी करने पर पुनः दो बच्चों के लिए मातृत्व अवकाश दिया जाना चाहिए. याचिका के साथ हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा इस संबंध में पारित आदेश की प्रति भी पेश की गयी थी.
स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत करेंगे शादी
दूसरे धर्म के युवक ने हाईकोर्ट में हलफनामा पेश करते हुए कहा है कि वह और उसकी प्रेमिका, दोनो अपने धर्म को मानने के लिए स्वतंत्र हैं और वे स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करेंगे. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस एमएस भटटी की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता के हलफनामे की प्रति युवती को फैक्स व वाट्सअप के माध्यम से भेजने के निर्देश जारी किए हैं. कोर्ट ने 24 घंटे में युवती को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के निर्देश जारी किए हैं.
होशंगाबाद के इटारसी निवासी फैसल खान की तरफ से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया था कि उसकी प्रेमिका जो हिन्दु है, उसे जबरन नारी निकेतन में रखा गया है. वे दोनों एक- दूसरे से प्रेम करते हैं. युवती की उम्र 19 वर्ष है और वह बालिग है और जनवरी के पहले सप्ताह में वह अपना घर छोडकर उसके साथ रहने लगी थी. युवती के परिजनों ने उसके लापता होने की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज करवाई थी. जिसके बाद दोनों ने थाने में उपस्थित होकर बताया था कि वह स्वैच्छा से एक दूसरे के साथ रहना चाहते हैं.
पुलिस में बयान दर्ज करवाने के बाद दोनों भोपाल आकर रहने लगे. बीते दिनों इटारसी पुलिस ने फरवरी माह के पहले सप्ताह में एसडीएम के समक्ष वयान दर्ज करवाने के लिए उन्हे बुलाया था. एसडीएम के समक्ष वयान दर्ज करवाने के बाद पुलिस ने बिना किसी आदेश के जबरजस्ती युवती को नारी निकेतन भेज दिया. जिसके खिलाफ उक्त बंदी प्रत्यक्षिकरण याचिका दायर की गयी है. पिछली सुनवाई के दौरान बैतूल जिला न्यायालय से वीडियों कॉफ्रेसिंग के माध्यम से युवती बेंच के सामने उपस्थित हुई थी. युवती ने युगलपीठ को बताया था कि उसे जबरदस्ती नारी निकेतन में रखा गया है. वह अपनी मर्जी से याचिकाकर्ता के साथ थी और वह हिन्दु धर्म अपनाकर उसके साथ शादी करेगा. जिसके बाद युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को अपनी शिक्षा,आय तथा धर्म परिवर्तन कर शादी के संबंध में हलफनामा पेश करने के निर्देश दिये थे.याचिका पर अगली सुनवाई मंगलवार 22 फरवरी को होगी.