ग्वालियर। मध्य प्रदेश का ग्वालियर-चंबल अंचल सूबे की सियासी दशा और दिशा दोनों तय करता है. जहां की सियासी शतरंज पर खेले जाने वाले शह और मात के खेल पर भोपाल से लेकर दिल्ली दरबार की निगाहें टिकी रहती है. 2019 तो इस अंचल के लिए बदलाव का साल साबित हुआ. कुछ ऐसी सियासी घटनाएं घटी जो राजनीति के इतिहास में दर्ज हो गई. आइये एक नजर डालते हैं. ऐसी ही सियासी घटनाओं पर.....
लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने ही गढ़ में मिली करारी हार
लोकसभा चुनाव में गुना सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता और सिंधिया परिवार के वारिस ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार ने सबकों चौंका दिया. 17 साल में चार लोकसभा चुनाव जीत चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार ग्वालियर-चंबल से लेकर पूरे देश में चर्चा का विषय रही. सिंधिया के कभी करीबी रहे बीजेपी प्रत्याशी केपी यादव ने उन्हें चुनाव हरा दिया.
लोकसभा में कांग्रेस का सूपड़ा साफ
2018 के विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस ने ग्वालियर चंबल अंचल की सीटों पर फतह हासिल की हो. लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जोरदार पलटवार किया. सिंधिया के दुर्ग से लेकर दिग्गी राजा के गढ़ तक बीजेपी ने हर जगह कांग्रेस को चारों खाने चित करते हुए अंचल की चारों लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की.