मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / city

MP में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना कितना आसान! दलाल और ड्राइवर ने खोली परिवहन विभाग के दावों की पोल - लाइसेंस आवेदकों ने कभी नहीं दिया मेडिकल सर्टिफिकेट

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में सवाल खड़े करते हुए कहा कि, भारत में सबसे आसान है ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना. मध्य प्रदेश में लाइसेंस बनवाने को लेकर क्या प्रक्रिया और मापदंड है, इसको लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के डिप्टी कमिश्नर से बातचीत की. साथ ही ग्राउंड जीरो पर जाकर हालातों का जायजा लिया, जिसमें अधिकारी के दावों की पोल खुल गई.

MP Transport Department hub of brokers
एमपी परिवहन विभाग बना दलालों का अड्डा

By

Published : Mar 24, 2022, 8:02 PM IST

Updated : Mar 24, 2022, 8:31 PM IST

ग्वालियर। संसद में केंद्रीय मंत्री केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है, कि पूरे विश्व में अगर सबसे आसान ड्राइविंग लाइसेंस बनाता है, तो वह भारत में बनता है. इसके साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर कई सवाल खड़े किए, जिससे संसद में सन्नाटा पसर गया. इसके बाद ईटीवी भारत की टीम ने मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के डिप्टी कमिश्नर अरविंद सक्सेना से बातचीत की और उनसे जाना कि मध्य प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस कैसे बनाया जाता है और किन-किन डाक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है.

एमपी परिवहन विभाग के डिप्टी कमिश्नर के साथ ईटीवी भारत संवाददाता की बातचीत

ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए क्या करें: ईटीवी भारत से बातचीत में डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर अरविंद सक्सेना ने जो जवाब दिए, उसी के आधार पर ईटीवी भारत ने ग्राउंड पर जाकर रियलिटी चेक किया और सामने आया कि डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के सभी दावे झूठे है. विभाग के डिप्टी कमिश्नर अरविंद सक्सेना ने ईटीवी भारत की खास बातचीत में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के तरीके को विस्तार से बताया कि उसकी क्या प्रक्रिया है और कौन से डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ती है.

ड्राइविंग लाइसेंस के लिए तीन डाक्यूमेंट जरुरी: ईटीवी भारत से खास बातचीत में मध्य प्रदेश ट्रांसपोर्ट विभाग के डिप्टी कमिश्नर अरविंद सक्सेना ने बताया कि व्यक्ति का सबसे पहले लर्निंग लाइसेंस बनाया जाता है. इस लर्निंग लाइसेंस बनाने के लिए व्यक्ति का आधार कार्ड, वोटर कार्ड या मार्कशीट का होना अनिवार्य है. इसके साथ एक नेत्र चिकित्सक द्वारा बनाया गया मेडिकल सर्टिफिकेट काफी अहम होता है. लर्निंग लाइसेंस बनावाने के लिए ये तीनों डाक्यूमेंट्स अनिवार्य हैं.

दलाल और ड्राइवर ने खोली एमपी परिवहन विभाग की पोल

ड्राइविंग लाइसेंस के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट जरुरी: लर्निंग लाइसेंस बनने के बाद व्यक्ति 6 महीने के अंदर स्थाई लाइसेंस बनवा सकता है. जिसके बाद व्यक्ति दो-चार पहिया और ट्रैक्टर ट्रॉली चला सकता है. लाइसेंस बनवाने के लिए नेत्र चिकित्सक द्वारा मेडिकल सर्टिफिकेट होना, ड्राइव टेस्ट होना अनिवार्य है. स्थाई लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदक का विभाग द्वारा ड्राइव टेस्ट लिया जाता है और ड्राइव टेस्ट में पास होने पर उसका स्थाई लाइसेंस बनाया जाता है. साथ ही जब ड्राइविंग लाइसेंस का रिनुअल किया जाता है, तो उस समय सबसे पहले उस व्यक्ति के नेत्र चिकित्सक द्वारा मेडिकल सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है. उसके बिना किसी का लाइसेंस रिनुअल नहीं होता.

MP में 55 लाख से ज्यादा ड्राइविंग लाइसेंसधारी: विभाग के डिप्टी कमिश्नर अरविंद सक्सेना ने ईटीवी भारत से कहा, इस समय मध्य प्रदेश में जीवित ड्राइविंग लाइसेंस की संख्या लगभग 55 से 60 लाख तक है. इतने लोग मध्यप्रदेश में वाहन चलाते हैं. सरकारी वाहन चालकों की आंखों के परीक्षण को लेकर जब उनसे पूछा गया, तो उन्होनें कहा कि जब वह नया लाइसेंस बनवाने के लिए अप्लाई करते हैं, तो उनका नेत्र चिकित्सक द्वारा मेडिकल सर्टिफिकेट लिया जाता है.

झूठे साबित हुए डिप्टी कमिश्नर के दावे: अरविंद सक्सेना ने बताया कि समय-समय पर नेत्र शिविर लगाकर उनकी आंखों की जांच कराई जाती है. उन्होंने कहा कि जब किसी भी व्यक्ति का ड्राइविंग लाइसेंस रिनुअल होता है, तो उस समय उस व्यक्ति का मेडिकल सर्टिफिकेट मांगा जाता है. ताकि पता चल सके कि वह फिट है. इस तमाम सारी बातों को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड पर जाकर रियलिटी चेक किया तो मध्य प्रदेश ट्रांसपोर्ट विभाग के डिप्टी कमिश्नर के सभी दावे झूठे साबित हुए.

ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया सच:मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के डिप्टी कमिश्नर द्वारा किए गए दावों का ईटीवी भारत संवाददाता ने ग्राउंड जीरो पर जाकर रियलिटी चेक किया और जाना कि मध्यप्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस कैसे बनाया जाता है. सबसे पहले ईटीवी भारत की टीम ने ऐसे व्यक्ति की तलाश की, जो ड्राइविंग लाइसेंस बनवाता है. संपर्क करने पर सामने आए एक एजेंट ने अपना नाम-पता बताए बिना कैमरे के सामने आने की शर्त रखी. उसने बताया कि वह 20 साल से लोगों के लाइसेंस बनवाता है.

एजेंट ने खोली डिप्टी कमिश्नर के झूठ की पोल:दलाल ने ईटीवी भारत को बताया कि अगर कोई व्यक्ति लाइसेंस बनवाना चाहता है, तो सबसे पहले लर्निंग लाइसेंस बनवाया जाता है. जिसमें हम उनसे 1000 रुपए लेते हैं और डाक्यूमेंट्स में आवेदक का आधार कार्ड या दसवीं की मार्कशीट ली जाती है. उसके बाद फॉर्म पर उसके हस्ताक्षर करा कर परिवहन विभाग के अधिकारी को देते हैं. जिसमें उस अधिकारी को 200 सरकारी फीस और 200-300 रुपए की रिश्वत देते हैं.

20 साल में कभी नहीं दिया मेडिकल सर्टिफिकेट: एजेंट ने बताया कि उसके बाद एक दिन लर्निंग लाइसेंस बन कर तैयार हो जाता है. इसमें किसी भी नेत्र परीक्षण के मेडिकल सर्टिफिकेट की कोई आवश्यकता नहीं है. दलाल ने बताया, ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए 20 साल में मैंने कभी भी मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं दिया है, हालांकि अब कुछ दिनों से ही मेडिकल सर्टिफिकेट मांगने लगे हैं. लेकिन वह भी फर्जी तरीके से बनवाये जा रहे हैं इसके बाद उसने बताया कि लर्निंग लाइसेंस के बाद स्थाई लाइसेंस बनवाया जाता है और उस लाइसेंस से व्यक्ति दो-चार पहिया वाहन और ट्रैक्टर ट्रॉली चला सकता है.

हर प्रक्रिया पर विभाग को जाती है रिश्वत: दलाल ने बताया कि स्थाई लाइसेंस बनवाने के लिए हम व्यक्ति से 2000 लेते हैं. उसमें 400 रुपये विभाग के अधिकारी को रिश्वत देते हैं और उसके बाद व्यक्ति का स्थाई लाइसेंस बन कर तैयार हो जाता है. दलाल ने कहा कि दुपहिया-चार पहिया चलाने वाले लाइसेंस को बनवाने के लिए व्यक्ति से 3000 लेते हैं, जिनमें से लगभग विभाग के अधिकारियों को रिश्वत देकर कुल 1000 का खर्च आता है. दलाली ने दावा किया कि परिवहन विभाग में रिश्वत के अलावा कुछ नहीं चलता, अगर आप रिश्वत देंगे तो मरे हुए व्यक्ति का भी लाइसेंस बनवा सकते हैं.

ड्राइवर ने भी खोला विभाग का चिट्ठा: ईटीवी भारत की टीम द्वारा किए गए इस बड़े खुलासे के बाद संवाददाता ने एक ड्राइवर से बातचीत की. बातचीत के दौरान जब उससे पूछा कि उसका लाइसेंस कितना पुराना है, तो उसने कहा कि मेरा 20 साल पुराना लाइसेंस है और मैंने अपना लाइसेंस दलाल के द्वारा बनवाया था. अपने कागज और रुपए देने के बाद यह लाइसेंस बन कर घर आ गया. इसमें मैंने कोई मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं दिया है. इसके साथ ही जब उससे पूछा गया कि उसका लाइसेंस को कितनी बार रिनुअल हो चुका है, तो उसने कहा कि यह मेरा लाइसेंस लगभग 4 बार रिन्यू हो चुका है.

परिवहन विभाग बना दलालों का अड्डा: ड्राइवर ने बताया कि पैसे के अलावा इसमें कुछ नहीं लगता. मतलब उसने साफ कहा कि उसने कभी कोई मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं दिया. उसने बताया कि परिवहन विभाग सिर्फ दलालों से ही चलता है और यहां अधिकारियों से ज्यादा दलाल काम करते हैं. यही वजह है कि पूरे भारत के अंदर सबसे आसान तरीके से ड्राइविंग लाइसेंस बन कर तैयार होता है. इसी को लेकर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सवाल खड़े किए थे. ईटीवी भारत की पड़ताल में एमपी के परिवहन विभाग के डिप्टी कमिश्नर के दावे झूठ निकले. जिससे साफ जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं परिवहन विभाग दलालों का अड्डा बना हुआ है.

Last Updated : Mar 24, 2022, 8:31 PM IST

For All Latest Updates

TAGGED:

ABOUT THE AUTHOR

...view details