ग्वालियर। ग्वालियर स्थित ज्योतिरादित्य सिंधिया के महल जयविलास पैलेस के सामने बन रहा 'राजपथ' सुर्खियों (gwalior rajpath controversy) में आ गया है. क्योंकि पूरे देश में दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन के सामने वाली रोड को राजपथ के नाम से जाना जाता है, लेकिन अब दूसरा ग्वालियर में बन रहा है (300 crores spent on the Scindia palace road) और वो भी 300 करोड़ के लागत से. मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बनाई जा रही यह रोड़ केवल एक व्यक्ति को खुश करने के लिए बनाई जा रही है.
सिंधिया के राजपथ पर गरमाई सियासत सिंधिया के महल के आसपास ही हो रहा है विकास- कांग्रेस
ईटीवी भारत ने इस प्रोजेक्ट की पड़ताल की. यह राजपथ रोड सिंधिया महल के सामने से होकर गुजरती है. इसी रोड पर सिंधिया राजघराने की छतरी, समाधियां और उनकी कुलदेवी का मंदिर है. रोड के निर्माण पर खर्च किए जा रहे 300 करोड़ रुपयों को लेकर कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि ग्वालियर में विकास कार्य सिंधिया महल के आसपास ही हो रहा है. सिंह का आरोप है कि जितने में 1 सड़क बन रही है उतने में सारे शहर की सड़कों की दशा सुधर जाती जिससे जनता को लाभ होता, लेकिन सिंधिया जी को खुश करने के लिए स्मार्ट सिटी का पैसा बर्बाद किया जा रहा है.
बीजेपी नेता कुछ भी बोलने से बच रहे हैं
सिंधिया महल के सामने बन रहे इस राजपथ को लेकर बीजेपी के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर से सवाल किया गया तो वे पूरे मामले से ही अनजान दिखाई दिए. उनका कहना है किस सड़क का नाम राजपथ क्यों दिया गया इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है. इसके बारे में नगर निगम के अधिकारी ही बता सकते हैं, लेकिन यह प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी की देखरेख में पूरा किया जा रहा है. सांसद महोदय ने बताया कि स्मार्ट सिटी का उद्देश शहर को मॉडल बनाना है और यह सड़क भी उसी में शामिल है. जाहिर है सांसद शेजवलकर इस पूरे मामले पर कुछ भी बोलने से बच रहे थे.
राजपथ देश की आजादी का प्रतीक, ग्वालियर के राजपथ का कोई औचित्य नहीं
सड़क के नामकरण को लेकर वरिष्ठ पत्रकार और इतिहास विशेषज्ञ डॉ राकेश अचल का कहते हैं कि पूरे देश में राजपथ के नाम से सिर्फ दिल्ली में ही एक सड़क है. उस राजपथ का इतिहास स्वतंत्रता के बाद जो सत्ता का केंद्र रहा है उससे जुड़ा है. यह रोड भारत के राष्ट्रपति भवन के सामने से गुजरती है, लेकिन ग्वालियर में जो राजपथ रोड बनाया जा रहा है उसका कोई औचित्य नहीं है. स्मार्ट सिटी के अधिकारी फिलहाल मध्य प्रदेश की सत्ता के केंद्र बने सिंधिया को खुश करने के लिए उस रोड का नामकरण राजपथ के नाम पर कर रहे हैं. डॉ अचल कहते हैं कि नियमानुसार जब किसी सड़क का नाम रखा जाता है तो स्थानीय निकाय में संकल्प पारित होता है. उसके बाद किसी रोड का नामकरण किया जाता है, लेकिन यहां पर मनमाने तरीके से केवल नेता को खुश करने के लिए इस रोड का नाम राजपथ दे दिया है.