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दीवारों के बाद अब बोलेंगे पेड़! सिर्फ नाम-पता ही नहीं बताएंगे पूरा Biodata - ईटीवी भारत

ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन की तरफ से एक अनोखी पहल शुरू की जा रही है. अब यूनिवर्सिटी कैंपल में लगे 5000 से ज्यादा पेड़ों में बारकोड लगाया जाएगा. जिसको स्कैन कर लोग उस पेड़ का नाम, महत्व और उपयोगिता जान सकेंगे.

पेड़ का है अपना नाम और पता
पेड़ का है अपना नाम और पता

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Published : Oct 16, 2021, 1:44 PM IST

Updated : Oct 16, 2021, 1:57 PM IST

ग्वालियर।ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय के कैंपस में लगे हजारों पेड़ अब अपना परिचय खुद देंगे. यह पेड़ बताएंगे कि उनका नाम क्या है और उनका कितना महत्व है. इसके लिए जीवाजी विश्वविद्यालय एक अनूठा प्रयोग करने जा रहा है. विश्वविद्यालय के कैंपस में लगे प्रत्येक पेड़ पर एक बारकोड लगाया जा रहा है. इस बारकोड के जरिए कोई भी व्यक्ति जब स्कैन करेगा तो पेड़ के बारे में पूरी जानकारी मिल सकेगी. इससे पेड़ का नाम, महत्व और उसकी उपयोगिता के बारे में पता लग सकेगा.

जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन के इस अनूठे प्रयोग का मकसद यह है कि इससे विद्यार्थियों का ज्ञान तो बढ़ेगा ही इसके साथ ही यहां पर मॉर्निंग वॉक पर आने वाले सैकड़ों लोग भी पेड़ों की अहमियत जान सकेंगे.

हर पेड़ बताएगा अपना नाम और पता

5000 से ज्यादा पेड़ों पर लगेगा बार कोड

जीवाजी विश्वविद्यालय कैंपस के 5000 से अधिक पेड़ों पर बारकोड लगेगा. यूनिवर्सिटी में 5000 से ज्यादा बड़े पेड़ हैं, इसके साथ छोटे पेड़ों की संख्या भी हजारों में है. यही वजह है कि यूनिवर्सिटी कैंपस सबसे अधिक ऑक्सीजन देने वाला माना जाता है. यहां सैकड़ों की संख्या में लोग मॉर्निंग वॉक के लिए भी आते हैं. ऑक्सीजन जोन होने के कारण कोरोना संक्रमणकाल में यहां रोज 3000 से अधिक लोग मॉर्निंग वॉक के लिए आते थे. यही वजह थी कि यहां आने वाले लोगों के लिए आईडी कार्ड पास किए गए थे. जीवाजी विश्वविद्यालय इस अनुप्रयोग से हर पेड़ पर बारकोड लगा रहा है. जिससे यहां पर आने वाले छात्र और लोग उस पेड़ के बारे में जान सके कि उसका नाम क्या है और उसका महत्व और उपयोगिता कितनी है.

कैंपस में 56 प्रजातियों के लगे हैं पेड़

जीवाजी यूनिवर्सिटी के कैंपस में 5000 से अधिक बड़े पेड़ है. इसके साथ ही इससे दोगुनी संख्या छोटे पेड़ों की है. इस कैंपस में 56 प्रजातियों के पेड़ भी लगे हुए हैं. इसमें नीम के पेड़ों की संख्या 650 है, अशोक के 390, टीक के 296 और आम के 120 पेड़ हैं. इसके अलावा सफेद-काला बबूल, कस्टर्ड एप्पल, कचनार, पलाश, शीशम, कदम, गुलमोहर, येलो गुलमोहर, आमला, बरगद, गूगल पेपर सहित 56 प्रजातियों के पेड़ की भीड़ लगी हुई है.

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इस कैंपस में लगी हर पेड़ की अपनी उपयोगिता है. यह चिकित्सा के क्षेत्र में भी काफी लाभदायक है. इसके साथ ही अधिक ऑक्सीजन देने के लिए भी प्रमुख पेड़ उपलब्ध हैं. यहां पर सबसे अधिक ऑक्सीजन पेड़ों के द्वारा छोड़ी जाती है, और यह पूरा जीवाजी यूनिवर्सिटी का यह एरिया 'ग्रीन कैंपस' के नाम से जाना जाता है.

जीवाजी विश्वविद्यालय

App के जरिए बारकोड होगा स्कैन

वनस्पति विभागाध्यक्ष डॉ.एमके गुप्ता का कहना है कि प्राथमिक तौर पर 5000 से अधिक पेड़ोX में बारकोड लगाया जाएगा. एक ऐप्प तैयार किया जा रहा है, जिसे आम लोग डाउनलोड कर सकते हैं. जब कोई व्यक्ति किसी भी पेड़ पर लगे बारकोड को स्कैन करेगा, तो उस पेड़ का नाम, महत्व, उपयोगिता और उसकी मेडिसिन वैल्यू कितनी है, यह सब जानकारी मोबाइल पर आ जाएगी.

Last Updated : Oct 16, 2021, 1:57 PM IST

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