ग्वालियर।मध्य प्रदेश में एंटी माफिया अभियान 15 महीने की कमलनाथ सरकार के समय शुरू हुआ था. इस अभियान में कई हजार करोड़ रुपए की जमीन प्रशासन ने भू-माफियाओं से मुक्त करा ली थी. जिसमें सबसे ज्यादा कार्रवाई ग्वालियर-चंबल संभाग में देखने को मिली. लेकिन अब दोबारा से भू-माफियाओं ने उन जमीनों पर कब्जा करना शुरू कर दिया है, जिन्हें प्रशासन ने मुक्त कराया था. ग्वालियर की बात करें तो 22 दिन की कार्रवाई में 139 बीघा जमीन मुक्त हुई थी. जिसकी कीमत तकरीबन 500 करोड़ रुपए से ज्यादा थी, लेकिन एक बार फिर से मुक्त हुई जमीन माफियाओं के कब्जे में जा रही है.
22 दिन की कार्रवाई के बाद प्रशासन पड़ा 'ढीला'
एंटी माफिया अभियान के अंतर्गत ग्वालियर में पहले चरण की कार्रवाई में 500 करोड़ रुपए से अधिक की 139 बीघा जमीन, दूसरे और तीसरे चरण में करीब 600 बीघा जमीन को माफियाओं के चंगुल से मुक्त कराया गया था. लगातार 22 दिन तक चली कार्रवाई के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया. परिणाम यह रहा कि अधिकतर जगहों पर दोबारा से कब्जे हो गए. हाईवे किनारे की जिन जमीनों को मुक्त कराया गया था, वहां फिर से अतिक्रमण हो गया. जबकि खेती की जिस जमीन को मुक्त कराया गया था, उसमें किसान फिर से खेती कर अपना कब्जा जमाए हुए हैं. जिस पर कांग्रेस ने भी सवाल खड़े किए हैं.
माफियाओं ने अवैध बिल्डिंग दोबारा तानी
ग्वालियर-चंबल अंचल में एंटी माफिया अभियान के तहत सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से तैयार की गई, संपत्तियों पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर इन्हें नष्ट कर दिया था. लेकिन प्रशासन की नजर हटते ही भू-माफियाओं ने फिर से अपनी बिल्डिंगें तान दी. इसे लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं. आरोप लग रहे हैं कि प्रशासनिक अफसरों और नेताओं से सांठगांठ कर भू-माफियाओं ने एंटी माफिया मुहिम को ठेंगा दिखा दिया है.
मामले में बीजेपी का तर्क
किसी ने बड़ा होटल तो किसी कोचिंग संस्थान के लिए बिल्डिंग तैयार कर ली है. इसको लेकर बीजेपी का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है. शिवराज सरकार में किसी भी माफियाओं को नहीं छोड़ा जाएगा. बीजेपी प्रवक्ता आशीष अग्रवाल का कहना है कि शिवराज सरकार लगातार माफियाओं को लेकर कड़ी कार्रवाई कर रही है. माफियाओं को लेकर एक्ट बनने जा रहा है.