ग्वालियर।हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक बार फिर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं. जमानत में तथ्य छिपाने के मामले में पुलिस महानिदेशक से शपथ पत्र मांगा है. भिंड के दबोह थाना क्षेत्र में एक आरोपी कुलदीप दोहरे की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जब उसका आपराधिक रिकॉर्ड मांगा तो वह केस डायरी में संलग्न नहीं था. इस पर हाईकोर्ट ने भिंड पुलिस अधीक्षक से शपथ पत्र पर स्पष्टीकरण मांगा था. एसपी की जवाब से असंतुष्ट कोर्ट ने डीजीपी से एफिडेविट पर लिखित में स्पष्टीकरण मांगा है. मामले में अगली सुनवाई8 जुलाई को होगी.
एएसआई और टीआई पर जुर्माना: इस मामले में एसपी ने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि 'आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं भेजने के मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी प्रमोद साहू, एएसआई महेंद्र सिंह और आरक्षक नरेंद्र शाक्य को दोषी माना गया है. उन्होंने थाना प्रभारी पर दो हजार रुपए तो एएसआई पर पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया है'. लेकिन हाईकोर्ट एसपी के शपथ पत्र पर दिए गए स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं है. कोर्ट ने डीजीपी को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है कि 'क्या पुलिस द्वारा आपराधिक प्रकरणों की जानकारी नहीं भेजना मामूली गलती है या फिर इसे आपराधिक न्याय व्यवस्था प्रणाली में हस्तक्षेप करने जैसा माना जाए'. पुलिस ने डीजीपी से लिखित में एफिडेविट देने को भी कहा है.