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बेटियां किसी से कम नहीं: 24 साल की उम्र में ग्वालियर निवासी समीक्षा बनी जज, पिता का सपना किया पूरा - मध्य प्रदेश सिविल जज परीक्षा

कहते हैं कि अगर कुछ कर गुजरने की इच्छा हो या अपने लक्ष्य के प्रति जुनून हो तो कोई भी कार्य कठिन नहीं होता है. ऐसा ही कारनामा ग्वालियर की रहने वाली 24 साल की समीक्षा ने कर दिखाया है.

Gwalior civil judge
ग्वालियर की समीक्षा बनी जज

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Published : Apr 28, 2022, 7:52 PM IST

ग्वालियर।ग्वालियर की रहने वाली 24 साल की समीक्षा ने सिविल जज की परीक्षा पास कर ली है. समीक्षा ने पहले प्रयास में ही मध्यप्रदेश में 66 वी रैंक हासिल की है. समीक्षा की बचपन से ज्यूडिशरी में जाने की इच्छा थी. इनके पिता ने भी जज बनने की तैयारी की थी, लेकिन उनका सेलेक्शन नहीं हो पाया था. यही कारण है कि पिता का सपना पूरा करने का जिम्मा बेटी ने उठाया और 24 साल की उम्र में सपना पूरा कर दिखाया. समीक्षा सिंह जीवाजी विश्वविद्यालय के लॉ डिपार्टमेंट की छात्रा हैं. समीक्षा की इस सफलता पर परिजनों के साथ-साथ गृहनगर के लोगों में भी खुशी की लहर दौड़ गई है.

बेटियां किसी से कम नहीं

सफलता पर समीक्षा की राय: समीक्षा के चयन को लेकर उनके परिजनों और नगर वासियों में खासा उत्साह है. ढोल-नगाड़ों के साथ उनको फूल-माला पहनाकर स्वागत किया जा रहा है. उनके घर पर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया है. समीक्षा सिंह ने बताया कि वह इस परीक्षा में पहली बार बैठी थीं. विपरीत परिस्थिति में भी कभी हार नहीं मानी. उन्होंने कहा- "आज मेरी मेहनत रंग लाई है. जो मुकाम मैं हासिल करना चाहती थी, वह मुझे मिल गया है. इन सबके पीछे मेरे परिजनों और मेरे माता-पिता का हाथ है. जिन्होंने हर समय और हर हाल में मेरा साथ दिया. मेरे साथ खड़े रहे. इसके लिए मैं सभी का दिल से धन्यवाद करती हूं". समीक्षा ने यह भी कहा- "जो छात्र तैयारी कर रहे हैं. वह कभी हार ना मानें. जैसे मैंने नहीं मानी. किसी काम को करने से पहले यह न सोचें कि वह कार्य नहीं हो पाएगा".

समीक्षा, चयनित जज

बेटियां भी किसी से कम नहीं :समीक्षा ने बताया कि- "शिक्षकों के मार्ग दर्शन से उन्हें यह सफलता मिली है". समीक्षा के परिवारजनों का कहना है कि- "समीक्षा बचपन से ही जज बनना चाहती थी. हम लोगों ने उसकी इच्छा को पूरा करने के लिए भरपूर सहयोग किया. परिवार अपने बेटे में ही अपने सपनों को देखते हैं. लेकिन बेटियां भी किसी से कम नहीं है. वह भी अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने में सबसे आगे हैं".

समीक्षा ने माता-पिता का सपना किया पूरा

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