ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल अंचल में पहली बार अजब-गजब की राजनीति देखने को मिल रही है. नगरीय निकाय चुनाव भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन बीजेपी के लिए परेशानी अभी भी जस की तस बनी हुई है. बीजेपी के लिए अबकी बार इतना बड़ा संकट खड़ा हो गया है कि, अपने नेताओं पर ही विश्वास नहीं कर पा रही है. मतलब ग्वालियर चंबल में बीजेपी अपने ही नेताओं से इस समय डरी और सहमी है. इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि, नगर पंचायत चुनाव से लेकर निकाय चुनावों तक बीजेपी ने अपने ही चुने हुए नेताओं की बाड़ेबंदी की है. इसके साथ ही, अबकी बार चुनाव में देखने में आया है कि, बीजेपी के ही दिग्गज नेता आपस में वर्चस्व की लड़ाई के लिए एक दूसरे को हराने में जुटे हुए हैं. अब हालात यह है कि, निकाय चुनाव में सभापति पद के लिए भी चुने हुए पार्षदों की बीजेपी ने बाड़ेबंदी कर दी है. इससे साफ जाहिर है कि, बीजेपी अब अपने नेताओं पर विश्वास खो चुकी है.
अपने ही गढ़ में हताश बीजेपी: मध्यप्रदेश में ग्वालियर चंबल अंचल राजनीति का गढ़ कहा जाता है. कहते हैं कि, इसी ग्वालियर चंबल अंचल से मध्य प्रदेश की सरकार तय होती है. ग्वालियर चंबल अंचल वैसे बीजेपी का गढ़ है, लेकिन अबकी बार बीजेपी अपने ही घर में काफी परेशान और हताश नजर आ रही है. इसका कारण यह है कि, बीजेपी को अब अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं पर ही विश्वास नहीं है. यही वजह है कि, अबकी बार पंचायत और निकाय चुनाव में ऐसी ही तस्वीर सामने आई है. इस बार के पंचायत और निकाय चुनावों में यह देखने को आया है कि, सबसे ज्यादा बीजेपी ने अपने ही नेताओं की बाड़ेबंदी की है और इसके उदाहरण जनपद और जिला पंचायत चुनावों के साथ-साथ निकाय चुनावों में देखने में आया है. बीजेपी को अपने नेताओं पर विश्वास नहीं रहा, इसलिए वह लगातार अपने चुने हुए नेताओं और कार्यकर्ताओं की बाड़ेबंदी करने में लगी हुई है.
नेताओं में समर्थकों को कुर्सी दिलाने की होड़: इस बार ग्वालियर चंबल अंचल में जनपद और जिला पंचायत के साथ-साथ निकाय चुनाव में बीजेपी ने सबसे ज्यादा अपने नेताओं को नजरबंद किया है. इसका सबसे बड़ा कारण यह बताया जाता है कि, बीजेपी को अपने ही नेताओं पर विश्वास नहीं रहा है. डर है कि, चुने गए नेता कहीं कांग्रेस में शामिल न हो जाएं. इसलिए सबसे पहले जनपद और जिला पंचायत के अध्यक्ष चुनाव में यह तस्वीर देखने में आई थी. जनपद और जिला पंचायत के अध्यक्षों में बीजेपी के ही दिग्गजो ने अपने-अपने समर्थकों को कुर्सी दिलवाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया. इन चुनावों में देखने में आया कि, बीजेपी के दिग्गजों के समर्थक अध्यक्ष की कुर्सी पाने के लिए जीते हुए सदस्यों की बाड़ेबंदी करते नजर आए.