ग्वालियर। आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर ग्वालियर में स्थित डीआरडीई (रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना) बायो और केमिकल सुरक्षा में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है. इसको लेकर डीआरडीई 400 करोड़ रुपए की लागत से नई लैब का प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है. यह लैब स्थापित होने के बाद अत्याधुनिक उपकरणों से लैस स्तरीय लैब में बायो डिटेक्टर के प्रोजेक्ट पर अनुसंधान हो सकेंगे, ताकि हम जैव और रासायनिक सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकें. (Gwalior Biological Lab)
Gwalior Biological Lab: जैव और रासायनिक सुरक्षा में आत्मनिर्भर बनेगा देश, ग्वालियर DRDE में तैयार हो रही देश की पहली अत्याधुनिक बायोलॉजिकल लैब
देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, ऐसे में भारत आत्मनिर्भरता को लेकर एक सीढ़ी और चढ़ने जा रहा है. जहां हम जैव और रासायनिक सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकें. ग्वालियर में बन रही जैव और रासायनिक सुरक्षा को लेकर आधुनिक बायोलॉजिकल सेफ्टी लैब से देश आत्मनिर्भर बनेगा. अभी तक ऐसी लैब कुछ ही देशों मे है. (Gwalior Biological Lab)
लैब की सुरक्षा को लेकर विशेष इंतजााम: विश्व स्तरीय लैब को लेकर ग्वालियर डीआरडीई निर्देशक डॉ. एम एम परिडा ने ईटीवी भारत को बताया है कि, 'इस विश्व स्तरीय लैब को लेकर डीआरडीओ के वैज्ञानिकों के साथ बैठक हो चुकी है. यह देश की पहली आधुनिक बायोलॉजिकल सेफ्टी लैब होगी. फिलहाल अभी ऐसी लैब चीन, रूस और अमेरिका में है'. इसके साथ ही उन्होंने बताया, इस अत्याधुनिक लैब के सुरक्षा को लेकर भी विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं. नई लैब की सुरक्षा के लिए 500 मीटर की दूरी पर वॉच टॉवर का निर्माण किया जा रहा है. इन टॉवरों पर जवान आधुनिक हथियारों के साथ लैब की सुरक्षा के लिए 24 घंटे तैनात रहेंगे. वहीं इस लैब में विशेष अनुसंधान करने वाले वैज्ञानिक सुरक्षित सूट पहनकर ही प्रवेश कर सकेंगे और इस लैब में हवा और प्रकाश भी प्रवेश नहीं कर पाएगी.
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