मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / city

अब CBI करेगी दलित नाबालिग युवती से गैंगरेप मामले की जांच, पुलिस ऑफिसर्स पर लगाई 50 हजार की कॉस्ट - responsibility of gangrape case of Dalit minor girl

ग्वालियर हाईकोर्ट ने दलित नाबालिग युवती के साथ दुष्कर्म के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई को जांच की जिम्मेदारी सौंप दी है. कोर्ट ने यह भी आदेश दिए हैं कि मुरार थाने के थाना प्रभारी अजय पंवार और सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय पर प्राथमिकी दर्ज की जाए.

gwalior bench
ग्वालियर खंडपीठ

By

Published : Jun 23, 2021, 8:06 PM IST

Updated : Jun 23, 2021, 8:32 PM IST

ग्वालियर। बहुचर्चित दलित नाबालिग के साथ हुए गैंगरेप के मामले में आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के बजाय उल्टे फरियादी और उसके परिवार पर उत्पीड़न करने को हाईकोर्ट ने पुलिस का गंभीर कृत्य माना है. हाईकोर्ट ने कहा है कि पुलिस के रवैए को देखकर नहीं लगता कि पीड़िता को न्याय मिल सकेगा. इसलिए इस पूरे मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई के सुपुर्द किया जाता है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस मामले में लिप्त पुलिस अफसरों पर 50,000 हजार रुपए का हर्जाना लगाया जाता है जो तुरंत ही पीड़िता को दिलवाया जाए.

CBI करेगी दलित नाबालिग युवती से गैंगरेप मामले की जांच

कारोबारी को HC से राहत, रासुका की कार्रवाई को कोर्ट ने किया निरस्त

मुरार थाने के थाना प्रभारी और सब इंस्पेक्टर पर मामला दर्ज करने के आदेश

हाईकोर्ट में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुमन गुर्जर, सीएसपी रामनरेश पचौरी, मुरार टीआई अजय पंवार, सिरोल टीआई प्रीति भार्गव, सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय को ग्वालियर- चंबल रेंज से बाहर पदस्थ करने के आदेश दिए हैं. मुरार थाने के थाना प्रभारी अजय पंवार और सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय पर नाबालिग दलित युवती और उसके परिवार के साथ मारपीट करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की जाए. ग्वालियर खंडपीठ ने दलित युवती को स्वतंत्रता दी है कि वह अतिरिक्त मुआवजे के लिए न्यायालय में अलग से याचिका दायर कर सकती है.

आरोपियों ने पुलिस से नजदीकी का उठाया था लाभ

गौरतलब है कि उप नगर मुरार थाना क्षेत्र में 16 साल की नाबालिक दलित लड़की के साथ 31 जनवरी 2021 को आदित्य भदौरिया और एक अन्य ने दुष्कर्म किया था. आदित्य भदौरिया के दादा, गंगा सिंह भदौरिया ने पुलिस से अपनी नजदीकी का लाभ उठाकर पीड़िता का ही उत्पीड़न किया और उस पर दबाव बनाया कि वह पुलिस में बलात्कार की रिपोर्ट वापस ले लेकिन फरियादी डटी रही. इसी के चलते उसे और उसके परिवार को पुलिस का अत्याचार झेलना पड़ा. खास बात यह है कि पीड़िता ने 1 फरवरी को जिला न्यायालय में 164 के तहत पुलिस के खिलाफ अपने बयान भी दर्ज कराए थे. हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि चूंकि युवती अनुसूचित जाति वर्ग से आती है इसलिए पुलिस अफसरों के खिलाफ दलित उत्पीड़न की धारा के तहत भी मामला दर्ज किया जाए.

Last Updated : Jun 23, 2021, 8:32 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details