ग्वालियर।कहते हैं कि डॉक्टर से धरती का भगवान होता है लेकिन इन्हीं धरती के भगवानों के साथ ग्वालियर के आयुर्वेदिक महाविद्यालय में दुर्व्यवहार किया जा रहा है. ग्वालियर में स्थित शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय में पढ़ने वाले बीएमएस के छात्रों को अधूरा ज्ञान के साथ डॉक्टर की डिग्री दी जा रही है, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस महाविद्यालय से निकलने वाली डॉक्टर कैसे मरीजों का इलाज कर पाएंगे. दरअसल मामला यह है कि शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय में पिछले 20 साल से बॉडी न होने के कारण पढ़ने वाले बीएएमएस के छात्रों को शारीरिक संरचना का ज्ञान और उपचार सीखने से बंचित हो रहे है, अभी तक इस महाविद्यालय से 1500 से अधिक बीएमएस के ऐसे छात्र हैं जो बिना शारीरिक संरचना संरचना और उपचार के ज्ञान के बिना डिग्री लेकर निकल निकल गये हैं.Gwalior Ayurvedic College
2003 के बाद नहीं दिया गया शव:बता दें ग्वालियर में आयुर्वेदिक महाविद्यालय में पढ़ने बाले बीएएमएस के छात्रों की पढ़ाई के लिए एनाटॉमी विभाग पिछले 20 सालों से शव (कैडेवर) उपलब्ध नहीं करा पा रहा है और इस उपलब्धता न होने से उन्हें शारीरिक संरचना का पूरा ज्ञान और उपचार सीखने को नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में छात्रों को डिग्री तो मिल रही है, लेकिन व्यवहारिक और भौतिक ज्ञान के अभाव में मरीज का बेहतर इलाज कैसे कर पाएंगे. हालात यह है कि साल 2003 के बाद आयुर्वेदिक कॉलेज को जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज में शव नहीं दिया है, जिसके कारण आयुर्वेदिक कॉलेज में पढ़ने वाले बीएमएस के छात्रों को शारीरिक संरचना का बयान का ज्ञान और उपचार सीखने का मौका नहीं मिल पा रहा है.