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तदर्थ समिति का गठन होते ही खत्म हुआ HC बार एसोसिएशन सचिव पद को लेकर विवाद - HC बार एसोसिएशन सचिव पद

तदर्थ समिति के गठन के साथ ही हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (High Court Bar Association) सचिव पद को लेकर शुरू हुआ विवाद की इति श्री हो गई है. 10 दिनों से बंद अधिवक्ता कल्याण निधि के टिकट वकीलों को मिलना शुरू हो गए हैं, पूरा मामला जानने के लिए पढ़ें खबर..

Gwalior Court
ग्वालियर कोर्ट

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Published : Dec 5, 2020, 4:16 PM IST

ग्वालियर: हाई कोर्ट बार एसोसिएशन(High Court Bar Association) सचिव पद को लेकर शुरू हुआ विवाद तदर्थ समिति के गठन के साथ ही खत्म हो गया है. तदर्थ समिति के सदस्यों को बार काउंसिल के पूर्व सचिव पवन पाठक ने अपना चार्ज सौंप दिया अब बार की सभी गतिविधियां स्टेट बार काउंसलिंग के अधीन कार्यरत तदर्थ समिति ही करेगी, इसमें अधिवक्ता कल्याण निधि स्टांप और जरूरतमंद अधिवक्ताओं को राशि देने की कार्रवाई भी शामिल है.

बार एसोसिएशन सचिव पद को विवाद खत्म
दरअसल, सचिव पद को लेकर पवन पाठक और कार्यकारी सचिव बिजेंद्र तोमर में विवाद हो गया था. 27 नवंबर से शुरू हुआ विवाद शनिवार को तदर्थ समिति को कार्यभार सौंपा जाने के साथ ही खत्म हो गया. पिछले नौ दिनों में एडवोकेट वेलफेयर फंड स्टॉप टिकट भी शनिवार से मिलना शुरू हो गए हैं.इस वेलफेयर फंड के स्टाम्प नहीं मिलने से नए केसों की फाइलिंग प्रभावित हो रही थे तदर्थ समिति के सदस्य प्रेम सिंह भदोरिया अंकुर मोदी जितेंद्र शर्मा और राजेश शुक्ला को पूर्व सचिव के बार एसोसिएशन की तीन बैग में भरी सामग्री सौंप दी है, जिसमें कई चेक बुक स्टैंप और अन्य जरूरी फाइलें हैं. पूरी कार्रवाई की प्रोसेसिंग लिखवाई गई है. फिलहाल, कितने दस्तावेजों का हस्तांतरण हुआ है ये अभी साफ नहीं हो सका है.

पढ़ेंः बार एसोसिएशन के सचिव का विवाद सड़कों पर, अधिवक्ता मुंशी के साथ थाने के सामने मारपीट

सड़कों पर आ गया था विवाद

हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (High Court Bar Association) के सचिव पद पर चल रहा विवाद अब मारपीट तक पहुंच गया चुका था. 27 नवंबर को साधारण सभा की बैठक में खुद को पवन पाठक ने सचिव घोषित करते हुए उनके खिलाफ दो माह पहले लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को गलत ठहराया. दूसरे पक्ष विजेंद्र सिंह तोमर ने अपने को कार्यकारी सचिव बताते हुए अध्यक्ष का समर्थन हासिल कर लिया. इसी को लेकर मंगलवार को जिला कोर्ट में दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की और थाने तक बात पहुंच गई.

चार सितंबर को कार्यकारी सचिव ने बार एसोसिएशन के सेक्रेटरी पवन पाठक को उनके पद से हटा दिया था. तभी से वकीलों के दो धड़े हो गए हैं, एक धड़ा तोमर का समर्थन कर रहा है तो दूसरा धड़ा पवन पाठक का समर्थन कर रहा है. पाठक ने 27 नवंबर को एक बार फिर साधारण सभा की बैठक में खुद को सचिव घोषित किया और विजेंद्र तोमर द्वारा चार सितंबर की कार्रवाई को अवैधानिक करार दिया. इसे लेकर दोनों पक्षों के वकील आमने सामने आ गए और एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. आनन-फानन में पुलिस भी वहां पहुंच गई.

हो गई थी मारपीट

वकीलों का एक पक्ष दूसरे के खिलाफ शिकायत करने के लिए जैसे ही इंदरगंज थाने पहुंचे तभी विजेंद्र तोमर सहित उनके समर्थकों ने पवन पाठक के मुंशी विकास मुद्गल के साथ थाने के सामने जमकर मारपीट कर दी जिससे उनके चेहरा जख्मी हो गया और खून निकल आया.

खास बात यह है कि पवन पाठक अपने कोर्ट मुंशी मुद्गल के साथ हुई पुलिस के सामने मारपीट को लेकर मुकदमा दर्ज कराना चाह रहे थे, लेकिन खबर लिखे जाने तक उनके खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया. पुलिस ने उन्हें जांच का आश्वासन फिलहाल दिया था, इस दौरान कांग्रेस नेता वीरसिंह तोमर भी विजेंद्र तोमर के समर्थन में पहुंचे उनसे पवन पाठक की बहस हो गई और पाठक ने उन्हें इस मामले से दूर रहने की सलाह दी.

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