ग्वालियर।मध्यप्रदेश में जैसे ही कोरोना महामारी का संकटकाल हटेगा, तो सियासत का दौर शुरू होगा. चुनावी शंखनाद बजेगा और सियासी शतरंज पर फिर शह-मात का दौर शुरू होगा. प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारियां बीजेपी और कांग्रेस ने शुरू कर दी है. बीजेपी की तरफ से ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक पूर्व 22 विधायकों को उपचुनाव में टिकट मिलना तय नजर आ रहा है. लेकिन इन उम्मीदवारों के सामने कांग्रेस किसे उतारेगी यह बड़ा सवाल है. ऐसे में कांग्रेस अभी से मजबूत प्रत्याशियों की तलाश में जुट गई है.
24 विधानसभा सीटों से से ज्यादा सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल की है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने से यहां कांग्रेस कमजोर हुई है. सवाल इस बात का है कि कांग्रेस सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों के सामने किसे उतारे, ताकि उपचुनाव में जीत हासिल की जाए. हालांकि पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने तैयारियां शुरु कर दी है, ईटीवी भारत आपकों कुछ ऐसे चेहरे बताने जा रहा है जो विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की तरफ से मैदान में आ सकते हैं.
पूर्व मंत्रियों के खिलाफ रहेगा कांग्रेस का फोकस
कांग्रेस ने अंदर ही अंदर उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों की तलाश तेज कर दी है. पार्टी का सबसे ज्यादा फोकस उन पूर्व विधायकों के खिलाफ है, जिन्हें कमलनाथ सरकार में मंत्रिपद नावाजा गया था. बावजूद इसके उन्होंने बगावत की. ऐसे में कांग्रेस इन सभी मंत्रियों के खिलाफ मजबूत चेहरा उतारने की तलाश में जुटी है. जबकि ग्वालियर-चंबल में भी कांग्रेस का जोर रहेगा.
प्रद्युमन सिंह तोमर
बीजेपी में शामिल हुए पूर्व मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ग्वालियर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरेंगे. लेकिन कांग्रेस की तरफ से अब कोई ऐसा मजबूत चेहरा तोमर के खिलाफ उतारने की तैयारी है, ताकि चुनाव जीता जाए. कांग्रेस की तरफ से यहां स्थानीय नेता सुनील शर्मा का नाम सबसे आगे चल रहा है. इसके अलावा संत कृपाल सिंह भी रेस में है जो क्षत्रिय समाज से आते हैं. वहीं तीसरे संभावित उम्मीदवार के रूप में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के समर्थक अशोक सिंह भी चुनाव लड़ सकते हैं.
इमरती देवी
डबरा विधानसभा से लगातार तीन बार से विधायक चुनी जा रही इमरती देवी बीजेपी की तरफ से उपचुनाव में फिर से मैदान में होगी. लेकिन कांग्रेस यहां मजबूत चेहरे की तलाश में है. जब तक इमरती देवी कांग्रेस में रही तब तक कांग्रेस यहां बहुत मजबूत थी. लेकिन इमरती का विकल्प तलाशना कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ा कर सकता है. 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी. लेकिन उपचुनाव में हालात बदल गए है. जातिगत आंकड़ों के हिसाब से कांग्रेस यहां पूर्व विधायक फूल सिंह बरैया को इमरती देवी के सामने खड़ा कर सकती है.