ग्वालियर।मध्य प्रदेश में मिशन 2023 के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने मैदानी तैयारियां शुरू कर दी हैं. हालांकि विधानसभा चुनाव को अभी सालभर से ज्यादा का समय है लेकिन इस समय ग्वालियर- चंबल अंचल में जातीय ध्रुवीकरण की राजनीति बढ़ने लगी है. अंचल में इस समय अलग-अलग जातियों के बीच वर्चस्व की जंग छिड़ी हुई है. इस कारण बीजेपी की चिंताएं बढ़ गई हैं. हाल ही में लोधी समाज के कद्दावर नेता प्रीतम लोधी को भाजपा ने निष्कासित किया है और इसी के चलते ग्वालियर -चंबल अंचल में ओबीसी, एससी, एसटी समाज के साथ ही अन्य वर्ग सरकार के विरोध में उतर आए हैं.
ग्वालियर-चंबल अंचल में जातीय ध्रुवीकरण शुरू बीजेपी सरकार खामोश :ये सभी जातियां सत्ताधारी दल को घेरने की कोशिश कर रहे हैं. यही कारण है कि सरकार इस मामले को लेकर अब पूरी तरह शांत है. सत्ता दल को अब ऐसा लग रहा है कि इस मामले में अगर कुछ भी बोला तो उन्हें अंचल में भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है. एक मामला शांत नहीं हुआ कि अंचल में दूसरे मामले ने जन्म ले लिया. सम्राट मिहिर भोज का मामला फिर से अंचल में पैदा हो गया और हालात ऐसे बन गए हैं कि पिछले दो दिन से ग्वालियर- चंबल अंचल में भोज को लेकर क्षत्रिय समाज और गुर्जर समाज आमने-सामने है.
ग्वालियर-चंबल अंचल में जातीय ध्रुवीकरण शुरू मिहिर भोज का मामला भी गर्म :मिहिर भोज को लेकर दोनों ही समाज आमने- सामने है और खुलकर विरोध कर रहे हैं. हालांकि यह मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है और सरकार से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारी दोनों ही समाज को समझाने में लगे हुए हैं. सरकार को डर है कि कहीं इन दोनों समाजों में हो रही जंग के बीच सरकार को विरोध न झेलना पड़े. यही कारण है कि बीजेपी की तरफ से कोई भी इस मुद्दे पर बोलना नहीं चाह रहा है. सब नेता इस मुद्दे को लेकर किनारा कर रहे हैं और दोनों ही समाजों को समझाने में लगे हुए हैं.
Mihir Bhoj Controversy, क्यों MP से लेकर UP तक सम्राट मिहिर भोज पर विवाद में आमने सामने हैं गुर्जर क्षत्रिय, जानें पूरा विवाद
बीते विधासनभा चुनाव परिणाम से आशंकित है बीजेपी :अंचल में शिवराज सरकार के सामने साल 2018 जैसे हालात पैदा हो गए हैं. क्योंकि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में शिवराज सरकार को काफी विरोध का सामना करना पड़ा था. चंबल अंचल में सरकार के प्रति विरोध के कारण शिवराज सरकार को अपनी सीट गंवानी पड़ी. अंचल की 34 सीटों में से महज बीजेपी 6 सीट ही जीत पाई थी. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा दिए गए "माई के लाल" बयान ने ग्वालियर चंबल अंचल में विरोध पैदा कर दिया था. ग्वालियर- चंबल अंचल में सवर्ण वर्ग पूरी तरह शिवराज के खिलाफ हो गये थे. इसी के चलते शिवराज सरकार को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी. ऐसी ही तस्वीर एक बार फिर ग्वालियर -चंबल अंचल में देखने को मिल रही है . यही कारण है कि इस जातीय ध्रुवीकरण के कारण सरकार काफी परेशान और हैरान हैं. Caste polarization Gwalior Chambal, big challenge for BJP , MP Mission 2023, Lodhi and brahmin samaj fight