ग्वालियर। कला उम्र की मोहताज नहीं होती. कई बार लोग ऐसे उदाहरण पेश करते रहे हैं. ग्वालियर में रहने वाले 70 साल के विमल चंद्र जैन ने भी साबित कर दिया है कि उम्र महज एक नंबर है और कुछ नहीं.
carving on glass bulb: कांच के बल्ब पर देखी है नक्काशी ?
जिस उम्र में लोग रिटायर होकर अपने बच्चों के साथ आराम की जिंदगी जीने की सोचते हैं, उस उम्र में भी विमल चंद्र (vimal jain) अपने हुनर(nourishing art of carving on glass bulb) को निखारने में लगे हैं. विमल चंद्र 70 साल के हैं और आज भी वे कांच के बल्ब पर छेनी और हथौड़ी के जरिए महीन अक्षरों को उकेरते है. अक्षर भी इतने छोटे होते हैं कि आम इंसान के लिए इसे पढ़ना इतना आसान नहीं होता. लेकिन विमल जैन के लिए ये बाएं हाथ का खेल है.
देखिए, कांच के बल्ब पर नक्काशी, आप हैरान रह जाएंगे ये उम्र नहीं है थकने की
carving on glass bulb:70 बरस की उम्र (seventy years of age ) में ज्यादातर लोगों के हाथ पांव कांपने लगते हैं. आंखें भी कमजोर हो जाती है. लेकिन विमल चंद्र जैन का अपने काम के प्रति जुनून उम्र को ठेंगा दिखा रहा है. वे बल्ब के पतले कांच पर छेनी हथौड़ी से मंत्र और चित्र बना देते हैं. विमल चंद्र जैन (vimal jain) ने कांच के बल्ब पर देखते ही देखते णमोकार मंत्र लिखा है. (carving on glass bulb)उनकी इस कला के कद्रदान शहर के लोग ही नहीं, बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी हैं. विमल चंद्र जैन दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, जयपुर, उदयपुर सहित बड़े शहरों में अपने हुनर का लोहा मनवा चुके हैं.
carving on glass bulb: 55 साल का हुनर है, मजाक नहीं
विमल जैन (vimal jain) ने बताया कि उनका परिवार शुरु से ही बर्तनों का कारोबार करता रहा है. जब वे जवान थे तो बर्तन दुकानों पर काम करते थे. उस समय बर्तन पर नाम और पता लिखवाने का चलन था. करीब 55 साल पहले बर्तनों पर नाम लिखवाने के लिए मशीन नहीं होती थी. इसलिए छेनी और हथौड़ी की मदद से नाम और पता लिखा जाता था. विमल बताते हैं कि 55 साल पहले हाथ में छेनी और हथौड़ी पकड़ी तो आज तक नहीं छूटी. शुरुआत बर्तनों पर नाम और पता लिखने से हुई. जैसे-जैसे समय गुजरता गया, तो कुछ नया करने की ललक पैदा होती रही. फिर कांच के बल्ब पर हथौड़े की चोट और छेनी की मार से कुछ उकेरने लगे. (carving on glass bulb) धीरे धीरे ये शौक उनका हुनर बन गया.
carving on glass bulb: हुनर के दम पर मिली ख्याति
विमल जैन (vimal jain) को देशभर में कई बार सम्मान मिला है. कोलकाता से लेकर दिल्ली, दिल्ली से मुंबई सब जगह लोग उनकी कला के कायल हैं. विदेशों में भी विमल जैन के टैलेंट की चर्चा है. विमल जैन अब 70 के हो चुके हैं. आज भी वह अपने सधे हुए हाथों से बल्ब पर (carving on glass bulb) कई तरह के शब्द और आकृतियां उकेरते हैं. वो कहते हैं कि आज की युवा पीढ़ी को भी अपने लक्ष्य को निर्धारित करना चाहिए. ताकि अपनी लगन और इच्छाशक्ति के बल पर अलग मुकाम हासिल कर सकें.
carving on glass bulb: ...ताकि कला का दरिया बहता रहे
विमल जैन (vimal jain) का कहना है कि कोई भी हुनर आसानी से नहीं सीखा जाता. (carving on glass bulb) इसके लिए तपस्या, मेहनत और लगन की जरूरत होती है. विमल जैन अपना ये हुनर अपने परिवार को भी सिखा रहे हैं. ताकि कला का दरिया हमेशा बहता रहे.