छिन्दवाड़ा। सौंसर के रोहना ग्राम पंचायत में आरक्षण का विरोध करते हुए ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार किया है. जिसके चलते सरपंच और पंच के किये कोई नामांकन दाखिल नहीं किया गया है. एक तरफ जहां पूरे प्रदेश में पंचायत चुनाव की गहमागहमी जोरों से चल रही है, वहीं छिंदवाड़ा में एक पंचायत ऐसी भी है, जहां न चुनाव का शोर होगा, न कोई मतदान होगा. न नेताओ का जमावड़ा होगा, न वोट के लिए मिन्नते की जाएंगी.
आरक्षण का विरोध में नहीं किया नामांकन दाखिल: छिंदवाड़ा के सौंसर ब्लॉक के रामाकोना क्षेत्र में रोहना ग्राम पंचायत में ग्रामवासियों ने चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय किया है. गांव से इस चुनाव में पंच और सरपंच के लिए एक भी फॉर्म जमा नहीं हुआ है. अब चूंकि नामांकन की तारीख निकल चुकी है, इसलिए अब यहां चुनाव होना संभव भी नहीं है. यह गांव एकीकृत आदिवासी परियोजना के अंतर्गत आदिवासी ग्राम घोषित कर दिया गया था. इसलिए पिछले 25 सालों से यह पंचायत लगातार आदिवासी सरपंच और पंच चुनने के लिए बाध्य है. रोटेशन का नियम यहां पर लागू नहीं होता.
प्रत्याशी मिलना भी मुश्किल: इस गांव में मात्र एक-दो घर आदिवासियों के हैं, बाकी पूरी पंचायत में ज्यादातर ओबीसी वर्ग के या सामान्य वर्ग के निवासी हैं. आदिवासी सरपंच चुनने की बाध्यता के चलते यहां के निवासी अपनी पसंद का सरपंच नहीं चुन पाते हैं. सरपंच के अतिरिक्त 10 में से 6 वार्ड आदिवासी घोषित हैं, जिनके लिए पांच प्रत्याशी मिलना भी मुश्किल है. क्योंकि गांव में एकमात्र आदिवासी परिवार है और उसमें कुल 7 सदस्य हैं.
जिन पंचायतों में पदों के लिए नामांकन नहीं भरे गए हैं, वहां पर जिला निर्वाचन अधिकारी की रिपोर्ट आने पर फैसला लिया जाता है. फिलहाल हमारे पास अभी किसी जिले से ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं आयी है.