छिंदवाड़ा।सरकार ने गेहूं के निर्यात पर अचानक रोक लगा दी है. जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ने वाला है. अबतक गेहूं का निर्यात होने से किसानों को खुले बाजार में 23 सौ से 2400 रूपए प्रति क्विंटल तक दाम मिल रहे थे, लेकिन अब मजबूरी में किसानों को समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल पर ही अपना गेहूं बेचना होगा. निर्यात पर प्रतिबंध को लेकर प्रदेश के कारोबारी भी खासे नाराज हैं. मध्यप्रदेश सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापार महासंघ समिति ने केंद्र सरकार के इस फैसले के विरोध में दो दिन मंडी बंद करने की घोषणा की है.
एमपी में गेहूं का निर्यात बंद होने से किसानों को होगा 10 करोड़ रुपये का नुकसान सरकार ने बढ़ाई गेहूं खरीदी की तारीख:गेहूं निर्यात होने से निजी कंपनियां ज्यादा दामों में गेहूं खरीद रही थी. इसलिए मंडियों में 2300 सौ से 2400 रूपए प्रति क्विंटल तक गेहूं बिक रहा था, जबकि मध्य प्रदेश सरकार समर्थन मूल्य में 2015 रूपए प्रति क्विंटल में गेहूं खरीद रही है. अब केंद्र सरकार ने गेहूं का निर्यात रोक दिया है. जिसकी वजह से गेहूं के दाम में गिरावट आ रही है. प्रदेश में पहले समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी करने की तिथि 15 मई थी, लेकिन तय खरीदी का टारगेट पूरा नहीं होने की वजह से अब 31 मई तक गेहूं खरीदी की जाएगी. सरकार को उम्मीद है कि केंद्र के फैसले से गेहूं की खरीदी में तेजी आएगी, लेकिन निर्यात बंद होने से किसानों को प्रति क्विंटल पर 300 से 400 रूपए का घाटा होगा. मजबूरी में किसानों को अब अपना गेहूं समर्थन मूल्य पर बेचना पड़ेगा.
1लाख 22 हजार क्विंटल गेहूं की हुई खरीदी:छिंदवाड़ा के जिला आपूर्ति अधिकारी आरपी शर्मा ने बताया कि जिले में 1774 किसानों द्वारा 1 लाख 22 हजार 737 क्विंटल गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदी हुई है, जबकि पिछले साल इसी समय तक 22 लाख 88 हजार क्विंटल गेहूं की खरीदी की जा चुकी थी. अधिकारी का कहना है कि बाजार भाव ज्यादा मिल रहे थे. इसलिए किसान समर्थन मूल्य पर गेहूं नहीं बेच रहे थे. इतना ही नहीं उन्होंने कहा है कि अब सरकार ने निर्यात बंद कर दिया है. इसके चलते गेहूं खरीदी केंद्रों में गेंहूं की अच्छी आवक होने की उम्मीद है.
कृषि मंडियों में कल से हड़ताल:मध्यप्रदेश सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापार महासंघ समिति ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के विरोध में मंगलवार और बुधवार को राज्य के 270 कृषि उपज मंडियों में अपना कारोबार बंद करने की घोषणा की है. केंद्र से निर्यात पर लगाया गया प्रतिबंध हटाने की मांग करते हुए संगठन ने कहा है ट्रकों के माध्यम से राज्य से गेहूं की बड़ी खेप निर्यात के लिए बंदरगाहों के लिए ले जाई गई. केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर अचानक प्रतिबंध लगाने के कारण राज्य के व्यापारियों द्वारा भेजे गए अनाज से लदे लगभग 5,000 ट्रक देश के 2 बड़े बंदरगाहों पर खड़े हैं. ये ट्रक एनडीएलए (गुजरात) और मुंबई बंदरगाहों पर खड़े हैं. मंडी महासंघ का कहना है कि इससे किसानों को लगभग 10 करोड़ रुपए का नुकसान होगा.
MP के गेहूं से लदे 5 हजार ट्रक निर्यात पर प्रतिबंध के कारण देश के 2 बंदरगाहों पर फंसे, विरोध में कृषि मंडियों में कल से हड़ताल
व्यापारियों के निर्यात सौदे संकट में: महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार ने व्यापारियों को गेहूं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया था. इसके बाद उन्होंने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक पर कमोडिटी खरीदी थी, लेकिन केंद्र के प्रतिबंध के कारण व्यापारियों के निर्यात सौदे अब संकट में हैं.
केंद्र का तर्क क्यों लगाया प्रतिबंध: अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार व्यापारियों और किसानों के हित में तुरंत निर्यात प्रतिबंध हटाये. गौरतलब है कि पिछले हफ्ते वाणिज्य मंत्रालय ने भीषण गर्मी के कारण उत्पादन पर असर की चिंताओं के बीच गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया था. केंद्र ने कहा है कि पड़ोसी और कमजोर देशों की खाद्यान्न आवश्यकताओं को पूरा करने के अलावा निर्णय से खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी. (Ban on export of wheat harms farmer) (Farmers disappointed from ban on wheat export) (5 thousand trucks of wheat stranded)