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Chhindwara Crime News: पंचायत का शर्मनाक फैसला, मामा-भतीजी के एक साथ भागने के शक में सरेआम पहनाई जूतों का माला, 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज - छिंदवाड़ा की लड़की को पहनाया जूतों की माला

छिंदवाड़ा में युवक और नाबालिग पर आरोप लगाते हुए पंचायत ने मानवता को शर्मसार करने वाला फैसला सुना दिया. दोनों को जूते-चप्पल की माला पहनाकर गांव में जुलूस निकाला गया. अब पुलिस ने नौ लोगों पर केस दर्ज किया है. (Chhindwara panchayat wearing garland of shoes to minor)

Chhindwara panchayat wearing garland of shoes to minor
छिंदवाड़ा पंचायत ने नाबालिग को जूते की माला पहनाई

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Published : Jun 5, 2022, 8:56 PM IST

छिंदवाड़ा।एक शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. नाबालिग लड़की और एक युवक को सरेआम जूते-चप्पल की माला पहनाई गई, फिर आसपास के तीन गांवों में जुलूस निकाला गया. नाबालिग युवती को रिश्ते के मामा के साथ भाग जाने के शक में सार्वजनिक रूप से पंचायत बैठाकर जूते-चप्पल की माला पहनाकर अपमानित किया गया. पुलिस ने नाबालिग की शिकायत पर नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. (Chhindwara Crime News)

नाबालिग को पंचायत में जूते-चप्पल की माला पहनाई गई: छिंदवाड़ा के मोहखेड़ थाना की उमरानाला चौकी के ग्राम अंबाझिरी में शनिवार सुबह को ये घटना घटी. पुलिस ने बताया कि अंबाझिरी की रहने वाली 17 वर्षीय नाबालिग 20 दिन पहले घर पर किसी को बिना बताए मजदूरी करने के लिए नागपुर चली गई थी. दो जून को वापस अपने घर आ गई. उसी समय गांव का बसंता ढीकू नामक युवक भी गायब था. अब पीड़िता से इस मामले में शिकायत दर्ज करवाई है. (Chhindwara panchayat wearing garland of shoes to minor)

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भरे समाज में दोनों को किया गया अपमानित: पहले तो दोनों पर आरोप लगाए गए, फिर सजा देने के लिए पंचायत बुलाई गई. गांव के लोगों का मानना था कि नाबालिग और बसंता ढीकू के बीच प्रेम संबंध थे, जिसके चलते वे गांव से भाग गए थे. बसंता ढीकू रिश्ते में नाबालिग युवती का मामा लगता है. पंचायत में दोनों के साथ मारपीट किए जाने की भी सूचना है. बाद में सरेआम दोनों के गले में जूते-चप्पलों की माला पहना दी गई. फिर अंबाझिरी, दर्गुढाना, हंडियापठार के सिल्लेवानी में जुलूस निकाला गया. पंचायत के लोगों का उद्देश्य था कि भरे समाज में दोनों को अपमानित करना है. गांव के लोगों का कहना था कि पंचायत बसंता ढीकू की पत्नी ने बुलाई थी. इस फैसले का पीड़िता के माता-पिता के साथ उसकी दादी और ग्राम कोटवार ने विरोध भी दर्ज कराया, लेकिन आरोपियों की संख्या को देखकर उनका विरोध थम गया और पंचायत ने अपना फैसला पूरा कर लिया.

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