भोपाल।टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त मध्यप्रदेश के बाघों ने दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है. प्रदेश के मोहन ने जहां पूरी दुनिया को सफेद बाघ दिए, वहीं कॉलरवाली रानी बाघिन शावकों को जन्म देने के मामले में पूरी दुनिया में सुपर मॉम के नाम से जानी जाती है. प्रदेश में बाघों का कुनवा बढ़ाने में 29 शावकों को जन्म देने वाली पेंच की 'रानी' ने खास भूमिका निभाई है, वहीं एमपी के जंगलों में एक नर बाघ ने 4 बच्चों की परवरिश का जिम्मा उठाकर अपने व्यवहार से दुनियाभर के वन्य प्राणी विषेशज्ञों को चौंकाया है. 2018 में प्रदेश के वन्य क्षेत्रों में 526 बाघ और प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा वापस मिला था. इस बार उम्मीद जताई जा रही है कि प्रदेश में अक्टूबर से शुरू होने जा रही बाघों की गिनती में यह संख्या 650 के पार पहुंच सकती है.
सफेद शेरों से गुलजार रही व्हाइट टाइगर सफारी
प्रदेश के विंध्य क्षेत्र को सफेद शेरों की धरती के नाम से जाना जाता है. प्रदेश के सतना जिले में महाराज मार्तण्ड सिंह जूदेव मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी बनाया गया है. 5 साल पहले यहां वर्ष 2016 में वाइट टाइगर सफारी की शुरुआत हुई थी.यहां पर्यटकों की पहली पसंद है व्हाइट टाइगर है.मुकंदपुर टाइगर सफारी में 3 सफेद बाघ हैं जिनमें दो नर दो मादा हैं. इसके अलावा 3 नर यलो टाइगर हैं 2 लॉयन और 4 पेंथर हैं. इसके अलावा स्लॉथ बियर, सांभर, चीतल ,थमिन डियर बारहसिंगा सहित 22 जानवरों की प्रजाति मौजूद हैं.
कैसे पड़ा व्हाइट सफारी नाम
सीधी के जंगलों के बीच एक गांव है देवा, जहां रीवा महाराज ने अपने अतिथि महाराजा अजीत सिंह के सम्मान में शिकार के लिए कैंप लगाया था. इसी जगह पर बरगढ़ी के जंगल में एक नाले के किनारे एक गुफा से 27 मई 1951 में महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव ने एक सफेद बाघ शावक को पकड़कर गोविंदगढ़ में रखा था. जंगलों से जिंदा पकड़े जाने वाला संभवत यह आखिरी सफेद बाघ था. इसका नाम मोहन रखा गया. इसी मोहन से सफेद बाघों का आगे का वंश चला और रीवा-सतना का इलाका सफेद शेरों के प्रजनन केंद्र के तौर पर दुनियाभर में फेमस हुआ. आज विश्व में जीवित सभी सफेद शेर मोहन तथा राधा की ही संताने हैं. साल 2014 की सफेद बाघों की गणना के अनुसार भारत में 98 सफेद बाघ व भारत के बाहर पूरी दुनिया में 100 सफेद बाघ जीवित हैं. मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी सफेद बाघ के लिए संभवत दुनिया की पहला सफारी है जहां 40 साल बाद भी सफेद बाघ सबसे बड़े क्षेत्र में मौजूद हैं.