भोपाल। संघ प्रमुख मोहन भागवत का आबादी को लेकर पॉलिसी बनाने और उसे लागू करने का बयान कहीं मिसाल बना है, तो कहीं विरोध की वजह. संघ प्रमुख के बयान के बाद आरएसएस की ही शाखा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, आबादी नियंत्रण कानून के साथ समान आचार संहिता को लेकर मुसलमनों के बीच अभियान की शक्ल में पहुंचने जा रही है. इस मामले में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के सात संकल्प काबिल-ए-गौर हैं जिनमें विवाह की न्यूनतम आयु तय किए जाने के साथ हेट स्पीच पर तुरंत एक्शन, शुक्रवार को पत्थरवार बनने से रोकने समेत कई मुद्दे शामिल हैं. उधर, एमपी में जमीअत उलेमा ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान की मुखालफत करते हुए कहा है कि आबादी के मामले पॉलिसी बनाकर नहीं संभाले जाते ये समाज की जागरूकता का मसला है. जरूरत शिक्षा का स्तर बढ़ाने की है.
विजयादशमी पर 10 का दम :मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने विजयादशमी पर मुस्लिम समाज में फैली दस बुराइयों के खात्मे का संकल्प लिया है. इनमें अशिक्षा से लेकर अभाव, असमाजिकता, अत्याचार और अन्याय शामिल हैं. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच कुछ मुद्दों पर समाज के बीच जागरूकता के साथ कानून के जरिए सुधार की सिफारिश कर रहा है. मंच के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शाहिद सईद का कहना है कि- "जिस तरह से तरह तीन तलाक, धारा 370, 35A, पीएफआई का खात्मा हुआ है. अब ये ठीक समय है कि जब शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष किए जाने के साथ हेट स्पीच पर रोक के साथ जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाए जाने की पहल हो".
कॉमन सिविल कोड की जरूरत बढ़ी :मंच के राष्ट्रीय संयोजक रजा हुसैन रिजवी और इस्लाम अब्बास ने कहा कि कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी समान आचार संहिता को लेकर बयान दिया था जिसमें कहा गया था कि गोवा बेहतरीन उदाहरण है वहां पुर्तगाल सिविल कोड 1867 लागू है जिसके तहत उत्तराधिकार और विरासत का नियम लागू है. भारत फर्स्ट के राष्ट्रीय संयोजक शिराज कुरैशी और इमरान चौधरी ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड, पर्सनल लॉ को लेकर लॉ कमीशन की रिपोर्ट पेश की गई थी तब कमीशन ने कहा था कि इस स्टेज पर यूनिफॉर्म सिविल कोड की जरूरत नहीं है. मौजूदा पर्सनल कानूनों में सुधार की जरूरत है. धार्मिक परम्पराओं और मूल अधिकारों के बीच सामंजस्य बनाने की जरूरत है. मंच का मानना है कि जैसे-जैसे समय बीत रहा है समान आचार संहिता की जरूरतें सामने आ रही है और इसे लागू किया जाना जरूरी है. राष्ट्रीय संयोजक माजिद तालिकोटी और एम ए सत्तार ने कहा कि कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर को अलग संविधान, नागरिकता, झंडा देकर अलगाववाद का बीज बोया था जिसे राष्ट्रवादी नरेंद्र मोदी सरकार ने खत्म कर दिखाया कि किस तरह बुराई पर अच्छाई की जीत होती है.