भोपाल . शहडोल के कमिश्नर राजीव शर्मा अपने सामाजिक कार्यों के कारण संभाग के गांवों में भी लोकप्रिय होते जा रहे हैं. वह प्रशासनिक कार्यों को पूरी पारदर्शिता के साथ समय सीमा में करते हैं. इसके साथ ही छोटे से छोटे गांवों का दौरा कर वह सरकारी योजनाओं को धरातल पर अमलीजामा पहनाने के लिए प्रयासरत रहते हैं. वह समाज को नई दिशा देने के लिए नित नए प्रयोग करते हैं. हाल ही में उन्होंने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को एमबीबीएस कराने की ठानी है. यह कोई सरकारी योजना नहीं है, बल्कि कमिश्नर राजीव शर्मा अपने स्तर पर इस योजना को आगे बढ़ा रहे हैं.
आदिवासी बच्चों को कराएंगे नीट की तैयारी
संभाग में 10वीं और 12वीं कक्षा में पढ़ रहे आदिवासी बच्चों को मेडिकल में प्रवेश की परीक्षा नेशनल एलीजिबिलिटी कम इंट्रेंस टेस्ट (नीट) की तैयारी कराने के लिए कमिश्नर राजीव शर्मा ने अभिनव पहल की है. इन बच्चों को नीट की तैयारी कराने के लिए उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट की मदद लेने की योजना बनाई है. मेडिकल स्टूडेंट को मेंटर की भूमिका दी जाएगी. ये स्टूडेंट आदिवासी बच्चों को नीट की तैयारी करने में मदद करेंगे.
मेडिकल कॉलेज की मदद ले रहे हैं कमिश्नर
आदिवासी बच्चों की नीट की तैयारी कराने के लिए कमिश्नर राजीव शर्मा ने मेडिकल कॉलेज के डीन, आदिवासी उपायुक्त, शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक और सभी स्कूल प्राचार्यों के साथ बैठक कर उन्हें इस योजना को अमलीजामा पहनाने का आग्रह किया है. योजना के मुताबिक मेडिकल की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट को अलग-अलग स्कूलों जाकर बच्चों की मदद करेंगे. खास बात यह है कि कमिश्नर खुद इस योजना की मॉनिटरिंग बारीकी से कर रहे हैं.
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कमिश्नर बोले- यह योजना सरकारी नहीं
आमतौर पर नीट का एग्जाम मई या जून में होता है. इसलिए मेडिकल के स्टूडेंट इन्हें एग्जाम से छह माह पहले से तैयारी कराने के लिए स्कूलों में पहुंचेंगे. कमिश्नर का कहना है कि 10वीं और 12वीं के छात्र मार्गदर्शन के अभाव में कैरियर की राह तय नहीं कर पाते. मेडिकल स्टूडेंट मार्गदर्शन देंगे तो वे सिर्फ मेडिकल ही नहीं, अन्य प्रवेश परीक्षाओं के लिए भी सक्रिय होंगे. यह पहल सरकारी योजना से अलग है, जिसमें आदिवासी बच्चों को कोचिंग करने में आर्थिक मदद दी जाती है.
आईएएस राजीव शर्मा हमेशा कुछ नया करते हैं