भोपाल। साल 2019 मध्य प्रदेश की सियासत में बदलाव का साल साबित हुआ. सत्ता बदली, समीकरण बदले और प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में नई सरकार बनी. युवाओं को रोजगार देने का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस इस मुद्दे पर साल भर परेशान रही. बहरहाल 2019 तो अलविदा कह रहा है लेकिन बेरोजगारी का मुद्दा छोड़कर तो जरूर रहा है.
मध्य प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी 2019 में प्रदेश के अंदर शिक्षित बेरोजगारों की संख्या जिस तेजी से बढ़ी है. उस तेजी से रोजगार पैदा नहीं हुए. सरकारी आंकड़े तो कुछ यही गवाही देते हैं. एक साल के अंदर प्रदेश में सात लाख बेरोजगार दर्ज हुए हैं तो रोजगार सिर्फ 34 हजार युवाओं को ही मिला.
विधानसभा में पेश आंकड़े
विधानसभा में पेश आंकड़ों की माने तो साल 2018 में बेरोजगारों की संख्या 20 लाख 77 हजार 222 थी. जो 2019 में बढ़कर 27 लाख 79 हजार 725 हो गई. तेजी से बढ़ती बेरोजगारी पर कमलनाथ सरकार ने युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उद्योगों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने का फैसला लिया. सरकार की इस घोषणा के बाद प्रदेश में जॉब फेयर भी आयोजित हुए. इन आयोजनों के जरिए प्रदेश के 17 हजार 506 युवाओं को नौकरी मिली, तो प्लेसमेंट ड्राइव के जरिए भी 2 हज़ार 520 युवाओं को रोजगार मिला. लेकिन बेरोजगारी के आंकड़ों को देखते हुए ये स्कीम नाकाफी साबित दिखाई दे रही हैं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के लगभग हर जिले में सात से आठ हजार बेरोजगार युवाओं की संख्या दर्ज होती है. खास बात यह है रोजगार की खोज में दूसरें प्रदेशों का रुख करने वाले युवाओं की संख्या भी साल भर में सात से आठ हजार ही दर्ज होती. यानि स्थानीय स्तर पर युवाओं को रोजगार शायद मिलता ही नहीं है.
राजधानी भोपाल के नीलम पार्क में पहले अतिथि शिक्षक, फिर अतिथि विद्वान और आखिर में बेरोजगार युवा रोजगार के मुद्दे पर धरने पर बैठे रहे. प्रदेश में बेरोजगारी किस हद तक है इसका आंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि रोजगार ने मिलने से युवाओं ने बेरोजगार सेना का ही गठन कर दिया. जो आए दिन बेरोजगारी के मुद्दे पर सड़कों पर उतरकर कभी केंद्र तो कभी राज्य सरकारों के खिलाफ प्रदर्शन करती है.
बेरोजगारी के मुद्दे पर सालभर सियासत भी जमकर हुई, बीजेपी ने सड़क से सदन तक ये मुद्दा खूब उठाया. बीजेपी ने कमलनाथ सरकार को बेरोजगारी पर घेरा तो कांग्रेस ने शिवराज सरकार के 15 साल में बेरोजगारी का मुद्दा उठाकर पलटवार किया. यानि साल भर बेरोजगारी के मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस में जमकर बयानबाजी हुई. लेकिन बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़े प्रदेश के लिए चिंताजनक है. खेर 2019 तो गुजर गया. अब दस्तक दे रहा है 2020, जिससे युवाओं को उम्मीद है कि इस बदले साल में उनका भाग्य भी बदलेगा और शायद हाथ में रोजगार होगा.