नई दिल्ली/भोपाल। 6 दिसंबर 1992 का ही दिन था, जब बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराया गया था. उस समय उमा भारती ने राम जन्मभूमि आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई थी, इस दौरान उनका नारा था 'श्री रामलला घर आयेंगे मंदिर वहीं बनाएंगे'. आज जब राम मंदिर बन रहा है तो उमा भारती उस दिन के बारे में क्या सोचती हैं, इस बारे में उन्होंने न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा कि 'जब मैं आज के दिन को याद करती हूं (Uma Bharti Controversial Statement) तो ये मेरे सिर्फ इस जीवन का ही नहीं, मेरे हजारों जीवन के सबसे गौरवशाली क्षणों में है.' उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का हमेशा आंनद रहा कि उन्होंने उस ढांचे को गिरते हुए अपनी आखों से देखा.
ढांचा गिराने से ही प्रधानमंत्री मोदी मंदिर का शिलान्यास कर सके: उमा भारती
उमा भारती ने कहा, 'मुझे नहीं पता, वे कौन लोग हैं, जिन्होंने वो ढांचा गिराया पर, मैं उन लोगों को सैल्यूट करती हूं. वे मेरे लिए इस मायने में भी अद्भुत और विलक्षण क्षण था, एक तो ढांचा गिरा, दूसरा उसके गिरने से ही राम मंदिर के आगे का रास्ता तैयार हुआ. न हमारे आहूत किए कारसेवक ढांचा गिराते, न ही पुरातत्व विभाग खुदाई कर पाता, न मंदिर के होने के साक्ष्य कोर्ट को पता चल पाते. उनके ढांचा गिराने से ही प्रधानमंत्री मोदी मंदिर का शिलान्यास कर सके, इसलिए जिन्होंने ये ढांचा गिराया, उनको सैल्यूट है.'
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उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद् के लोगों ने उनको इस राष्ट्रीय गौरव के साथ जोड़ा जो उनके लिए आत्मसम्मान का विषय है. अपनी जान की बाजी लगाकर भी राम मंदिर का निर्माण हो, इस भाव के साथ वह इस आंदोलन में उतरी थीं. उमा ने कहा, 'मैं उसे क्रिमिनल एक्टिविटी नहीं मानती क्रिमिनल एक्टिविटी के ऊपर कोई भी प्रधानमंत्री शिलान्यास नहीं कर सकता. क्रिमिनल एक्ट 500 साल पहले हुआ, हमने उस क्रिमिनल एक्ट को ठीक किया था.' कई साल तक उन पर चले मुकदमे का जिक्र करने पर उन्होंने कहा, 'हमने उस हर पल को आनंद और गौरव में जिया है और इसका आनंद मुझे पूरी जिंदगी रहेगा, इसलिए मैंने कभी इस मुकदमे को झेलने जैसा नहीं, बल्कि गौरव के रूप में लिया.'