भोपाल।नगर निगम ने अनाउंसमेंट में स्पष्ट कहा गया है कि पुलिस प्रशासन और अतिक्रमण शाखा को साथ लेकर 30 अगस्त को ये मकान तोड़ दिए जाएंगे. इससे पहले वहां रहने वाले लोग इन मकानों को खाली करना सुनिश्चित करें अन्यथा सारी जिम्मेदारी यहां रहने वाले लोगों की होगी. ऐसे में यहां रह रहे परिवारों के सामने अब एक नया संकट खड़ा हो गया है कि वह इन हालातों में कहां जाएं. यहां रहने वाले लोगों ने बताया कि पहले नोटिस कभी-कभी चस्पा किए जाते थे. परंतु 2016 के बाद नगर निगम लगातार हर बारिश में नोटिस भेजती है. इसमें लिखा होता था कि 3 दिन के अंदर या निगम की दी गई सीमा के अंदर मकान में मेंटेनेंस का काम करवा लिया जाए. लेकिन बारिश के बाद बाकी के 9 महीने कोई भी कार्रवाई नहीं होती और न ही रहवासियों की सुध लेने कोई आता है.
टैक्स वसूलते हैं, सुविधाएं नहीं देते :यहां साफ-सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं का क्या हाल बेहाल है. स्ट्रीट लाइट हैं लेकिन काम नहीं करती हैं. इसको लेकर कुछ नहीं किया जाता वो भी तब, जब जलकर, प्रॉपर्टी टैक्स के नाम पर अच्छा खासा टैक्स वसूला जाता है. यहां रहने वाले बताते हैं कि मकान का कुल टैक्स लगभग 250 रुपए है, लेकिन वसूले जाते हैं 2000 हजार रुपए. फिर भी यहां रह रहे लोगों को मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित रखा गया है. नगर निगम पिछले कई सालों से डराने वाले नोटिस देता है. बारिश के पूर्व यहां के रहवासियों को नोटिस जारी किया जाता है ताकि यदि भविष्य में अगर कोई हादसा हो तो नोटिस दिखाकर पल्ला झाड़ लिया जाए.
लोगों की मांग- घर के बदले घर मिले :नियमतः निगम को नोटिस के बाद ऐसे भवन तोड़ने चाहिए लेकिन पिछले कुछ सालों में ऐसा हुआ नहीं. शहर में जर्जर मकानों की स्थिति देखना और उन्हें नोटिस जारी करके तोड़ने की जिम्मेदारी निगम की भवन अनुज्ञा शाखा और सिविल शाखा की है. लेकिन यहां पर शाखा कुछ कर नहीं रही है. इतना जरूर है कि भयप्रद मकान बताकर नोटिस जारी कर खानापूर्ति कर दी जाती है. जनता क्वार्टर वासियों की मांग है कि घर के बदले में घर दें. उसके बाद ही हम यहां से हटेंगे.