भोपाल। बीजेपी मौके की अहमियत बखूबी समझती है. कौन सा समय ठीक और कब क्या संदेश देना है, बीजेपी का इस मामले में कोई सानी नहीं. मांडू में पार्टी का प्रशिक्षण वर्ग हो या उज्जैन में महाकाल लोक को देश को समर्पित करने का मौका. बीजेपी उस वक्त ये भव्य आयोजन करने जा रही है, जब एमपी चुनाव के मुहाने पर खड़ा है. बेशक महाकाल लोक के साथ केवल उज्जैन देश ही नहीं दुनिया के नक्शे पर नए सिरे से आ जाएगा और महाकाल लोक उज्जैन के धार्मिक पर्यटन में अपना असर दिखाएगा. लेकिन क्या बदलाव केवल इतना ही होगा. जिस जमीन पर लिखा जा रहा ये इतिहास, वो भला कैसे अछूता रह जाएगा. तो सवाल ये कि, महाकाल लोक आने वाले समय में पहले मालवा निमाड़ और फिर एमपी की चुनावी सियासत पर क्या असर दिखाएगा. मालवा निमाड़ के लिए यूं भी कहा जाता है कि, यहां जिसने पकड़ बनाई, उसी दल ने फिर सत्ता की कुर्सी पाई है.
2023 के पहले महाकाल लोक: एक हिंदू आस्थावान वोटर की निगाह से महाकाल लोक के पूरे प्लान को देखिए. ये महाकाल लोक केवल महाकाल की आस्था का विस्तार भर नहीं है. ये वोटर तक बीजेपी का ये संदेश भी है कि, मध्यप्रदेश में अपने वोटर को तीर्थ यात्रा कराने वाली बीजेपी की सरकार में उस प्रदेश के आस्था के स्थलों का कायाकल्प कर देने की काबिलियत है. ये बीजेपी की सरकार में ही हुआ है कि, मध्यप्रदेश धार्मिक पर्यटन के नक्शे पर दिखाई दे रहा है. महाकाल लोक में भगवान शिव की कहानियों के किस्सों में सीएम शिवराज के कार्यकाल के हिस्से भी आएंगे. ये तय जानिए और संदेश ये भी दिया जाएगा कि, अपने हर चुनाव अभियान की शुरुआत महाकाल से करने वाली बीजेपी का उज्जैन से नाता केवल सियासी नहीं है. वैचारिक महाकुंभ से लेकर महाकाल लोक तक महाकाल और उज्जैन को दुनिया के नक्शे पर लाने का कोई मौका शिवराज सरकार ने नहीं छोड़ा.