भोपाल। कोरोना की वजह से चौपट हुए प्रदेश के पर्यटन उद्योग को गति देने टाइगर रिजर्व के बफर जोन में टूरिज्म एक्टिविटी की सुविधाएं विकसित की जाएंगी. मध्यप्रदेश ईको टूरिज्म बोर्ड बफर जोन में करीब 30 ठिकानों को चिन्हित कर उन्हें विकसित करने जा रहा है. आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश अभियान में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसका सुझाव रखा था. पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों के मुताबिक इससे प्रदेश के टूरिज्म सेक्टर को गति मिलेगी. न सिर्फ कोरोना संक्रमण के मौजूदा दौर में बल्कि भविष्य में भी बफर जोन में पर्यटन की भरपूर संभावनाएं हैं.
टाइगर स्टेट से बढ़ी संभावनाएं
बाघ की संख्या के मामले में मध्यप्रदेश पूरे देश में अव्वल है. यही वजह है कि देश-विदेश के पर्यटक बाघों का दीदार करने के लिए मध्यप्रदेश आते हैं. मध्यप्रदेश सरकार अपनी इस उपलब्धि को ध्यान में रखकर पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिश में जुटी है. इसके लिए सरकार बफर में सफर को बढ़ावा दे रही है और इसी के चलते नेशनल पार्क के बफर जोन में अलग-अलग डेस्टिनेशन को विकसित किया जा रहा है.
मध्यप्रदेश के नेशनल पार्कों की स्थिति देखें तो गणना के मुताबिक सबसे ज्यादा 526 भाग यहां मौजूद हैं-
- कान्हा नेशनल पार्क में 104 बाघ हैं. यह पार्क 2117 वर्ग किलोमीटर में फैला है कान्हा में सीझोरा, खापा और खटिया के अलावा हरसा गेट, अकोला गेट बफर क्षेत्र हैं.
- बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 124 बाघ और कई शावक हैं. यह पार्क 1530 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां बफर जोन में 96 गांव है. बांधवगढ़ के बफर जोन के लिए पनपथा, धमोखरा और मानपुर को विकसित किया गया है.
- पेंच नेशनल पार्क में 87 बाघ हैं, यह पार्क 1179 वर्ग किलोमीटर में फैला है और यहां बफर जोन में 107 गांव है. बफर जोन के लिए रुखड़, खवासा, कुभपानी, घाट कोहका, अरी को विकसित किया गया है.
- सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में करीब 50 बाघ और कई शावक हैं, यह पार्क 524 वर्ग किलोमीटर में फैला है. इसके बफर जोन में परसा पानी, जमानी देव, सतधारा को विकसित किया गया है.
बफर जोन में पर्यटन की संभावनाएं बढ़ीं